रायपुर। विधानसभा में बुधवार को सुपेबेड़ा में किडनी की बीमारी से हुई मौत का मामला उठा. कांग्रेसी विधायक धनेंद्र साहू ने सवाल किया कि लगभग 71 से अधिक मौत किडनी की बीमारी से होने की जानकारी सामने आई है. स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने इसे संवेदनशील मुद्दा बताते हुए कहा कि किडनी की बीमारी की वजह अन्य जगहों की तुलना में वहां मौतें ज्यादा है.

मंत्री सिंहदेव ने बताया कि पंचायत के रिकॉर्ड में मृत्यु की वजह किडनी लिखी गई है. सरकार इस दिशा में गंभीरता से पहल कर रही है. उन्होंने कहा कि ऐसे सवाल विधानसभा में आते हैं तो कानूनी शब्दों के जरिये ही जवाब दिया जाता है. सुपेबेड़ा में हो रही मौतों पर डॉक्टर जवाब देते हैं कि हृदय गति रुकने से मृत्यु हुई है. तालाब में जब किसी की मृत्यु होती है तो उसका कारण सांस रुकने से होना बताया जाता है. डॉक्टरों की भाषा में अक्सर ये जवाब आते हैं. ऑन रिकॉर्ड चीजों में ऐसे जवाब आते हैं.

धनेंद्र साहू ने पूछा कि मैंने सवाल किया है कि किडनी से कितनी मौतें हुईं है? पिछली सरकार ने इस पर थोड़ा भी ध्यान नहीं दिया था, हमारी सरकार तो पहल कर रही है. सरकार डायलिसिस यूनिट लगा रही है, वाटर प्लांट लगा रहे है. ये सब हो रहा है क्योंकि ये माना जा रहा है कि लोग किडनी पीड़ित है. लेकिन जब मौत हो रही है वहां तो ये क्यों नहीं कहा जाता कि मौतें किडनी की वजह से हो रही है?

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि पिछली सरकार ने जो डॉक्टरों की टीम गठित की थी, उन्होंने अपनी रिपोर्ट में लिखकर सिर्फ इतना कहा था कि किडनी सस्पेक्टेड है. उन्होंने कहा कि आज भी सुपेबेड़ा में दो सौ से अधिक लोग किडनी से पीड़ित हैं. धनेंद्र साहू ने कहा कि मंत्री ये कह रहे हैं कि किडनी से दो सौ लोग पीड़ित है, लेकिन इस बीमारी से मौत को स्वीकार क्यों नहीं कर रहे. उन्होंने कहा जब हम किडनी को मृत्यु का कारण नहीं मान रहे तो फिर बेहतर इलाज कैसे करेंगे? इस पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि हम बेहतर इलाज सुनिश्चित करेंगे.

इसे भी पढ़ें : सुपेबेड़ा में किडनी की बीमारी से एक और मौत, अब तक 70 की मौत, 200 से ज्यादा मरीज अभी भी गांव में मौजूद