आजकल शहरी क्षेत्रों में रहने वाली काम-काजी, नौकरी पेशा महिलाएं ब्रेस्ट फीडिंग करवाने से बचती हैं। साफ-साफ शब्दों में कहें तो वे इसे पसंद नहीं करतीं। ऐसे में वे बच्चों को फॉर्मूला मिल्क देती हैं। बाजार से निप्पल लगी बोतलें खरीदकर, उसे मिल्क भरकर बच्चों को पकड़ा देती हैं। अगर, इन बोतलों की सफाई पर ध्यान न दिया जाए तो यह हमारे नन्हें-मुन्नों की सेहत बिगाड़ सकती हैं। आम तौर पर माएं बोतल-निप्पल को पानी में खंगाल देती हैं, पर ये तरीका गलत हैं। क्योंकि जितनी भी पानी से धो लें, उसमें बैक्टीरिया और कीटाणु रह ही जाते हैं। ये बुखार, डायरिया और पेट से जुड़ी बीमारियों का कारण बनते हैं।
इसलिए आर्टिकल को ध्यान से पढ़ें, क्योंकि सवाल हमारे छोटे बच्चों की सेहत का है। क्योंकि बच्चे स्वस्थ तो हम सब स्वस्थ होते हैं। बच्चे बीमार पड़ते हैं तो पूरा घर परेशान हो उठता है। इसलिए सेहत से समझौता न करें।
दूध पिलाने के तत्काल बाद बोतल, निप्पल धोएं
बच्चे को दूध पिलाने के तुरंत बाद बोतल को साबुन और पानी से धोएं। इससे बचा हुआ दूध जम नहीं पाता और आसानी से निकल जाता है। लंबे समय तक छोड़ने पर इसमें बैक्टीरिया पनप सकते हैं। दूध की बोतल के साथ ढक्कन और निप्पल को भी धोएं। बोतल को एक-दो बार साफ पानी से अवश्य धोएं। बाजार में बोतल धोने के अच्छे ब्रश भी मौजूद हैं, इनका भी इस्तेमाल कर सकते हैं। क्योंकि बोतल में हमारा हाथ नहीं, ब्रश पहुंच सकता है।
गर्म पानी का इस्तेमाल भी कर सकते हैं
अगर, आपको ऐसा लगता है कि साबुन से बोतल की ठीक से सफाई नहीं हो पाई है तो गर्म पानी में इन्हें डूबोकर रखें और कुछ देर बाद साफ करें। गर्म पानी से तमाम जर्म्स खत्म हो जाते हैं। बोतल धोने के बाद इन्हें खुली हवा में सुखाएं, ताकि पूरा पानी निकल जाए। बोतल सुखाने से बैक्टीरिया और इंफेक्शन का खतरा समाप्त हो जाता है। दूध की बोतल को पानी में 2 से 4 मिनट उबालकर स्टरलाइज भी कर सकते हैं।
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