कुमार इंदर, जबलपुर। चुनाव में वोटिंग की अनिवार्यता को लेकर लगी जनहित याचिका पर फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि, हम किसी को भी वोट डालने के लिए बाध्य नहीं कर सकते। हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की बेंच ने कहा कि वोट डालना व्यक्ति की स्वतंत्रता पर निर्भर करता है, वो वोट डाले या नहीं। याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता ने इस मामले में बहुत जल्दबाजी दिखाते हैं। पहले ही कोर्ट आ चुके हैं लिहाजा उनकी याचिका खारिज की जाती है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता रिप्रेजेंटेशन के जरिए अपनी बात इलेक्शन कमिशन के सामने जरुर रखे।
याचिका में दी थी यह दलील
जबलपुर के जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मुमताज खान ने वोटिंग की अनिवार्यता को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। याचिका के माध्यम से यह कहा गया था कि लोकतंत्र में लोगों की 90 फीसदी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए वोटिंग की अनिवार्यता जरूरी करना चाहिए। याचिका में कहा गया था कि जिस तरह सरकार वोटिंग के दिन सरकारी कर्मचारियों को छुट्टी देती है और उसके बदले में उन्हें पेमेंट भी मिलता है, लिहाजा इसलिए भी वोटिंग को अनिवार्य किया जाए। याचिकाकर्ता ने नेशनल इलेक्शन कमीशन, राज्य निर्वाचन आयोग और जिला निर्वाचन अधिकारी को पार्टी बनाया था।
याचिका में कई देशों का दिया हवाला
जनहित याचिका में दलील दी कि विश्व के कई देशों में मतदान अनिवार्य किया गया है तो हमारे देश में क्यों नहीं। याचिकाकर्ता ने कहा कि जब मतदान के दिन बिना कार्य के करोड़ों रुपये वेतन दिया जाता है, तो फिर मतदान अनिवार्य करने की व्यवस्था क्यों नहीं दी जा सकती।
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