कुमार इंदर,जबलपुर। कोरोना की तीसरी लहर के बीच सरकार चाहती है कि जल्द से जल्द देश के भविष्य कहलाने वाले नौनिहालों को वैक्सीन लग जाए. इसके लिए टीकाकरण केंद्रों के अलावा स्कूलों में भी वैक्सीन लगाने का काम तेजी से किया जा रहा है. यही वजह है कि जबलपुर में बच्चों को तय समय में वैक्सीन लगाने शिक्षा विभाग ने स्कूलों को बच्चों के अभिभावकों से तालमेल बनाकर टीका लगवाने के निर्देश दिए थे, लेकिन जबलपुर में कुछ स्कूलों की लापरवाही के चलते टीकाकरण की रफ्तार सुस्त पड़ गई. अब शिक्षा विभाग ने ऐसे करीब 33 स्कूलों के प्राचार्य और प्रधानाध्यापकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है.
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दरअसल टीकाकरण के लिए स्कूलों को केंद्र बनाते हुए उनकी क्षमता के अनुसार कम से कम 100 छात्रों को लाने की जवाबदारी दी गई थी. इसके बावजूद शिक्षकों ने इस पर गंभीरता के साथ अमल नहीं किया. जिसका नतीजा ये रहा कि स्कूल के प्राचार्यो ने अभिभावकों को न टीकाकरण को लेकर जागरूक किया और न ही बच्चों को स्कूल बुलाने में रूचि दिखाई. आलम ये हुआ कि तय किए गए लक्ष्य से 50 फीसदी भी छात्रों को टीका नहीं लग पाया है. जिससे टीकाकरण की रफ्तार गति नहीं पकड़ पाई.
शिक्षा विभाग ने जिन 33 स्कूलों को नोटिस जारी किया गया है, उनमें मुख्यतौर से शासकीय हाई स्कूल घंसौर बरगी, शासकीय हायर सेकेंडरी झिरिया, जमगांव, उमावि इमलईराजा, उमावि बढ़ियाखेड़ा, हाईस्कूल धनवाही, तिलसानी, पड़वार, सहजनी, कुंडा, बेलखाडू, हाई स्कूल पिंडरई, हाई स्कूल कालादेही, हाईस्कूल मोहास, बालक स्कूल सुकरी, डगडगा हिनौता, हाईस्कूल पिपरिया, उत्कृष्ट कालेज कुंडम जैसे 10 और स्कूल शामिल है. इसके अलावा जबलपुर के ही हाईस्कूल बेलखाड़ू में 687 बच्चों में 22 ही पहुंचे. हायर सेकेंडरी चरगवां में 538 बच्चों में 74 ही पहुंचे. इसी तरह हायर सेकेंडरी भीटा में 345 बच्चों में 95 ही पहुंचे, तो उत्कृष्ठ कुंडम कॉलेज में 480 बच्चों में 3 ही पहुंचे.
इसके अलावा हायर सेकेंडरी कुबरहट में जहां 287 बच्चों में 96 ही पहुंचे. वहीं हायर सेकेंडरी झिरिया में 243 बच्चाें में 48 ही पहुंचे थे. शिक्षा विभाग की माने तो आंकड़ों को देख शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बिना देर किए टीकाकरण को गंभीरता से न लेने और लापरवाही करने के आरोप में 30 से ज्यादा स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था. इनमें से कुछ स्कूलों ने डेटा फीडिंग में देरी होने का हवाला देते हुए नोटिस का जवाब तो दे दिया है, जबकि अभी भी बहुत से स्कूलों ने जवाब नहीं दिया है. स्कूलों के जवाब देने के बाद लापरवाही करने वाले स्कूलों के प्रिंसिपल के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जाएगी.
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