कुमार इंदर, जबलपुर। मध्यप्रदेश के बहुचर्चित पैरामेडिकल छात्रवृत्ति घोटाले (Paramedical Scholarship Scam) मामले में बुधवार को फिर हाईकोर्ट (MP High Court) में सुनवाई हुई। स्कॉलरशिप स्कैम की सुनवाई चीफ जस्टिस रवि मलिमथ और जस्टिस विशाल मिश्रा की बेंच में हुई। सरकार ने उच्च न्यायालय में स्टेटस टेकन रिपोर्ट (status taken report) पेश की। जिसमें 1 दिन में 11 कॉलेजों से 90 लाख वसूल किए जाने, इंदौर जिले के 7 कॉलेजों के बैंक खातों को फ्रीज, जबलपुर में 8 कॉलेजों को सील करने की भी बात कही है।
वहीं सरकार ने अदालत में कार्रवाई का ब्यौरा देते हुए 10 दिनों का समय मांगा है। हाईकोर्ट ने साफ पर निर्देश देते हुए कहा कि अगली सुनवाई में कोई रियायत नहीं दी जाएगी। अब इस मामले की अगली सुनवाई 10 मई को होगी।
सोमवार (Monday) को हाईकोर्ट में हुई सुनवाई पर राज्य शासन की ओर से जवाब पेश किया गया। जिसमें बताया गया कि पैरामेडिकल छात्रवृत्ति घोटाले में 24 करोड़ में से अब तक सिर्फ 4 करोड़ की वसूली हुई है। इसे लेकर कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई थी। सरकार ने रिपोर्ट में कहा कि एक संस्था से 4 लाख और 1 अन्य से 76000 और वसूल लिए गए हैं और बचे हुए पैरामेडीकल संस्थाओं से वसूली के लिए आरआरसी और कुर्की वारंट भी जारी किए जा चुके हैं।
ये है पूरा मामला
एमपी लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन (Madhya Pradesh Law Student Association) के अध्यक्ष एडवोकेट विशाल बघेल ने याचिका लगाई है। अधिवक्ता विजय बघेल ने जनहित याचिका दायर कर हाईकोर्ट को बताया था कि वर्ष 2010 से 2015 तक प्रदेश के सैकड़ों निजी पैरामेडिकल कॉलेज (Private Paramedical College) संचालकों ने फर्जी छात्रों को एडमिशन दिखाकर सरकार से करोड़ों रुपये की छात्रवृत्ति की राशि हड़प कर ली थी। जांच के बाद प्रदेश भर में 100 से ज्यादा कॉलेज संचालकों पर एफआईआर (FIR) दर्ज हुई थी।
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