आशुतोष तिवारी, जगदलपुर। बस्तर जिले में एक बार फिर शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करने वाली तस्वीरें सामने आई है।नलपावंड और कोरटा प्राथमिक शालाओं में बोर्ड परीक्षा के दौरान खुलेआम नकल करवाई जा रही थी और इसमें कोई और नहीं बल्कि खुद शिक्षक ही शामिल थे। लल्लूराम डॉट कॉम की टीम ने जब इन स्कूलों का औचक निरीक्षण किया, तो जो तस्वीरें सामने आईं, वो चौंकाने वाली थीं। छात्र किताब और मोबाइल से देख-देखकर उत्तर पुस्तिका पर जवाब लिख रहे थे और शिक्षक उन्हें उत्तर मुहैया करा रहे थे।

बता दें कि शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के उद्देश्य से 15 वर्षों के बाद लागू की गई नई शिक्षा नीति के तहत अब कक्षा 5वीं और 8वीं के छात्रों को बोर्ड परीक्षा देनी अनिवार्य कर दी गई है। इस परीक्षा में यदि कोई छात्र असफल होता है, तो उसे दो महीने के भीतर पुनः परीक्षा देने का अवसर मिलेगा। साथ ही संबंधित स्कूल के शिक्षकों को उन असफल छात्रों को पुनः शिक्षित करना होगा, लेकिन यहां शिक्षक अपने स्कूल का परीक्षा परिणाम बेहतर दिखाने के लिए बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।

जब लल्लूराम की टीम परीक्षा केंद्र पहुंची, हमने देखा कि सभी छात्र-छात्राएं किताब से उत्तर देख रहे थे, जो शिक्षिका ललिता कश्यप द्वारा उपलब्ध कराए गए थे। मीडिया टीम को देखते ही शिक्षिका छात्रों के पास से तुरंत अलग हट गई और नकल करवाने की बात से इनकार कर दिया। वहीं केंद्र प्रभारी कमला देवी ने भी किसी भी प्रकार की नकल करवाने से इनकार कर दिया। स्कूल के सभी शिक्षक भी इस मामले पर कोई ठोस प्रतिक्रिया देने से बचते नजर आए।

मोबाइल से देख कर लिख रहे थे उत्तर

नलपावंड प्राथमिक शाला में भी यही स्थिति देखने को मिली, जहाँ 8वीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र एक साथ बैठकर मोबाइल से उत्तर लिख रहे थे। जैसे ही लल्लूराम की टीम पहुँची, बच्चे तुरंत कतार में बैठने लगे। परीक्षा ड्यूटी में तैनात एस. मलिक एक छात्र को उत्तर बताते हुए नजर आए। जब उनसे पूछा गया, “आप चीटिंग क्यों करवा रहे हैं?” तो उन्होंने इस बात से साफ इनकार कर दिया। परीक्षा केंद्र प्रभारी धनुर्जय बघेल ने भी नकल न करवाने की बात कही, लेकिन लल्लूराम डॉट कॉम के कैमरे में सब कुछ कैद हो चुका था।

DEO ने कार्रवाई का दिया आश्वासन

इस पूरे मामले में जिला शिक्षा अधिकारी बलिराम बघेल ने कहा कि यदि कोई प्रमाण प्राप्त होते हैं, तो संबंधित शिक्षकों पर अवश्य कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया के माध्यम से इस मामले की जानकारी प्राप्त हुई है और इस पर उचित कदम उठाए जाएंगे।

गौरतलब है कि परीक्षा में पारदर्शिता बनाए रखने और छात्रों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए सख्त कदम उठाना आवश्यक है। परीक्षा केंद्रों पर उड़नदस्तों की तैनाती, सीसीटीवी कैमरों की निगरानी और धांधली करने वाले शिक्षकों पर अनुशासनात्मक कार्यवाही जैसे उपाय तुरंत लागू किए जाने चाहिए। साथ ही, छात्रों को नैतिक शिक्षा देकर मेहनत के महत्व को समझाना और शिक्षकों को सटीक एवं प्रभावी शिक्षण पद्धति का प्रशिक्षण देना भी जरूरी है।

बहरहाल, बस्तर से सामने आई यह तस्वीर शिक्षकों की भूमिका और शिक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है। यही बच्चे जब 10वीं कक्षा की परीक्षा में बैठते हैं, तो असफल हो जाते हैं और आगे की पढ़ाई जारी नहीं रख पाते। ऐसे में सवाल उठना लाज़मी है कि अगर शिक्षक ही नकल को बढ़ावा देंगे, तो छात्रों में मेहनत और ईमानदारी की भावना कैसे विकसित होगी? इस प्रकार की धांधली न केवल शिक्षा की गुणवत्ता को कमजोर करती है बल्कि आने वाली पीढ़ी के भविष्य को भी खतरे में डालती है। अब समय आ गया है कि प्रशासन सख्त कदम उठाए, दोषियों पर कार्रवाई करे और शिक्षा व्यवस्था को पारदर्शी एवं निष्पक्ष बनाए। तभी हम एक बेहतर और योग्य समाज की नींव रख पाएंगे। अब देखना होगा की खुलेआम नकल करवाने का भंडाफोड़ होने के बाद शिक्षा विभाग इस मामले में क्या कार्रवाई करता है।

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