गौरव जैन, गौरेला पेण्ड्रा मरवाही। भारत की मिट्टी में जन्मे सब भारत की संतान हैं. भारत भूमि सबकी जननी है, और एक जननी से जन्म लेने वाले भाई होते हैं. हमारी एक जाति है मानव और हमारा एक धर्म है मानवता. भारत के सभी संप्रदायों में परस्पर के भ्रातृत्व के भाव हों, क्योंकि कुछ और होने के पहले हम भाई हैं. यह बात मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज ने जिला जेल के बंदियों को संबोधित करते हुए कही. यह भी पढ़ें : मतदाता सूची तैयार करने में लापरवाही, कलेक्टर ने शिक्षक और पंचायत सचिव को किया निलंबित…

मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज ने कैदियों से कहा कि जेल परिसर को कारावास नहीं आश्रम समझकर अपने आचरण में परिवर्तन लायें. संगत कुसंगत, परिस्थितियों के वशीभूत अथवा आवेश,लोभ लालच में घिरकर अपराध हो गया और प्रत्येक अपराधी को अवांछनीय कृत्य के पश्चात उसे पश्चाताप होता है. उससे अपना घर परिवार संबंधी संपत्ति सब छूट जाते हैं, और कारागृह की दीवारों के अंदर संसार सीमित हो जाता है.

महाराज जी ने बताया ये सब तो हमने भी छोड़ा मगर हमने इन्हें स्वेच्छा से त्यागा है, और वीतरागता को आत्मसात किया. अंतर ये है कि आप दुष्कृत्य कर छोड़ने पर विवश हुए और हमने त्याग कर दोष रहित आचरण को अंगीकार किया. हम संत बने और आप बंदी.

उन्होंने कहा कि कारागृह में न तो मांस भक्षण कर सकते हैं, न मदिरा पान, न दुराचरण, न मनोरंजन मोबाइल का उपभोग, बिल्कुल संत सा जीवन हो जाता है. विवशता में हुये इस सुधार को बाहर आकर भी ऐसा ही जीवन जियें तो आप अनेक पापों से मुक्त हो सकते हैं.

बंदियों ने महाराज जी के प्रवचनों से प्रभावित होकर मांस मदिरा, धूम्रपान को त्यागकर सही मार्ग पर चलने का संकल्प लिया. महाराज जी ने कहा कि परस्पर भाई की भांति रहें और जेल प्रभारी अन्य प्रहरियों के प्रति आदर का भाव रखें क्योंकि जब तक तुम यहां हो तुम्हारी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति ये ही करते हैं.

इस अवसर पर वेदचन्द जैन ने कहा कि संसार के सभी आलंबनों को त्यागकर जैन मुनि समतापूर्वक साधना करते हैं. इनका जीवन दोषरहित है, और स्वकल्याण के साथ जगकल्याण की भावना भाते हैं. ऐसे परोपकारी संतों का सानिध्य पाना परम् सौभाग्य है. कारागृह की भूमि और बंदियों के लिये ये गौरव के क्षण हैं, जब दिगंबर जैन मुनि स्वयं चलकर इस प्रांगण में आये हैं.

कारागृह प्रभारी सेवक कुमार ने मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज और मुनि श्री अतुल सागर जी महाराज के आगमन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इनसे बढ़कर कोई त्यागी नहीं है. हमारा सौभाग्य है कि ऐसे संत बंदियों के कल्याण के लिये यहां पधारे. संदीप सिंघई ने जिला प्रशासन पुलिस प्रशासन, जेल प्रशासन के प्रति आभार व्यक्त किया.