नई दिल्ली। जैन तीर्थस्थल श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल बनाए जाने के केंद्र और झारखंड सरकार के फैसले ने समाज को उद्वेलित कर दिया है. वहीं गुजरात के पलीताणा में हुए जैन मंदिर में हुई तोड़फोड़ को लेकर भी समाज में गुस्सा है. दोनों मामलों में जैन समाज दिल्ली समेत देश के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन कर रहा है.

दिल्ली के प्रगति मैदान पर इकट्ठा जैन समाज के लोग झारखंड सरकार के फैसले के खिलाफ राष्ट्रपति भवन में ज्ञापन देने जा रहे हैं. उनका कहना है कि वे झारखंड सरकार के सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करने के खिलाफ हैं. इनका मानना है कि इससे सम्मेद शिखर को नुकसान होगा. जैन समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी.

मुंबई में जैन समुदाय के लोग झारखंड सरकार के फैसले के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं. महाराष्ट्र सरकार में मंत्री एमपी लोढ़ा ने बताया कि हम गुजरात के पलीताणा में हुए जैन मंदिर में हुई तोड़फोड़ और झारखंड सरकार के श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल में बदलने का फैसले के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं. गुजरात सरकार ऐसे लोगों को खिलाफ सख्त कार्रवाई करे.

क्या है विवाद की वजह

दरअसल, झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ियों पर स्थित सम्मेद शिखरजी जैन समुदाय का सबसे बड़ा तीर्थ है. केंद्र और झारखंड सरकार ने एक नोटिस जारी कर सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल बनाने की बात कही गई है. जैन समाज के लोगों ने सरकारों की ओर से जारी नोटिस को अपनी धार्मिक भावनाओं पर कुठाराघात बताते हुए इसके विरोध में मोर्चा खोल दिया है.

पर्यटकों के साथ आएगा शराब और मांस

जैन धर्म के लोग कह रहे हैं कि इसे पर्यटन क्षेत्र बनाया जाता है तो पर्यटकों के आने की वजह से यहां मांस, शराब का सेवन भी किया जाएगा. अहिंसक जैन समाज के लिए अपने पवित्र तीर्थक्षेत्र में ऐसे कार्य असहनीय हैं. सरकार की ओर से जारी की गई अधिसूचना में मछली और मुर्गी पालन के लिए भी अनुमति दी गई है.

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