टोक्यो। भारत के चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब जापान ने अपना मून मिशन लॉन्च किया है. जापानी स्पेस सेंटर (JAXA) ने तांगेशिमा स्पेस सेंटर के योशीनोबू लॉन्च कॉम्प्लेक्स से आज (7 सितंबर) सुबह अपना मून मिशन लॉन्च किया.

जापानी स्पेस सेंटर (JAXA) H-IIA रॉकेट अपने साथ स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून (SLIM) और एक्स-रे इमेजिंग एंड स्पेक्ट्रोस्कोपी मिशन (XRISM) लेकर गया है. SLIM एक हल्का रोबोटिक लैंडर है. जिसे तय स्थान पर ही उतारा जाएगा. इस मिशन को मून स्नाइपर भी कहा जा रहा है. यानी स्लिम की लैंडिंग उसके तय स्थान के 100 मीटर के दायरे में ही होगी. 831 करोड़ रुपए के इस मिशन को 26 और 28 अगस्त को लॉन्च किया जाना था, लेकिन खराब मौसम की वजह से अब वह समय आया है.

जापानी स्पेस एजेंसी के प्रेसिडेंट हिरोशी यामाकावा ने कहा कि स्लिम को इस हिसाब से भेजा जा रहा है, उसके ईंधन को ज्यादा से ज्यादा बचाया जा सके. यह मिशन चांद की सतह पर अगले साल फरवरी महीने में लैंड करेगा. मकसद सटीकता वाली लैंडिंग है. यानी जहां हम चाहते हैं, वहीं पर लैंड हो. बल्कि ये नहीं कि कहां हम कर सकते हैं.

चांद के समुद्र पर उतरेगा स्लिम

जापान का SLIM लैंडर चांद के नीयर साइड यानी उस हिस्से में उतरेगा, जो हमें अपनी आंखों से दिखाई देता है. संभावित लैंडिंग साइट मेयर नेक्टारिस है, जिसे चांद का समुद्र कहा जाता है. यह चांद पर सबसे ज्यादा अंधेरे वाला धब्बा कहा जाता है. स्लिम में एडवांस्ड ऑप्टिकल और इमेज प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी लगी है.

चांद की उत्पत्ति का लगाएगा पता

लैंडिंग के बाद स्लिम चांद की सतह पर मौजूद ओलिवीन पत्थरों की जांच करेगा, जिससे चांद की उत्पत्ति का पता चल सके. इसके साथ किसी तरह का रोवर नहीं भेजा गया है. इसके साथ XRISM सैटेलाइट भी भेजा गया है. जो चांद के चारों तरफ चक्कर लगाएगा. इसे जापान, नासा और यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने मिलकर बनाया है. यह चांद पर बहने वाले प्लाज्मा हवाओं की जांच करेगा. ताकि ब्रह्मांड में तारों और आकाशगंगाओं की उत्पत्ति का पता चल सके.