बिलासपुर. वीरेंद्र गहवई. झीरम घाटी हत्याकांड में NIA की याचिका पर हाईकोर्ट में आज सुनवाई हुई, जिसके बाद कोर्ट की डिवीजन बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. मामले की सुनवाई जस्टिस आरसीएस सामंत और जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल की डिवीजन बेंच में पिछले दो दिन से चल रही थी.

 सोमवार को NIA की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी और हाईकोर्ट के असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा ने बहस की. इस दौरान उन्होंने NIA एक्ट का हवाला देकर देते हुए कहा, कि जिस मामले की NIA जांच कर चुकी है, उस पर राज्य शासन को जांच करने का अधिकार नहीं है. कोई बिंदु जांच करने लायक है, तो उसे NIA के समक्ष रखा जा सकता है. इस मामले में बुधवार को अतिरिक्त महाधिवक्ता सुनील ओटवानी ने शासन का पक्ष रखते हुए कहा, कि ट्रायल कोर्ट को इस केस को ट्रांसफर करने का अधिकार नहीं था. नियमों के अनुसार एक FIR को दूसरे प्रकरण में ट्रांसफर नहीं किया जा सकता. झीरम घाटी हत्याकांड वृहद राजनीतिक षडयंत्र है, जिस पर NIA ने जांच नहीं की है.

इसी वजह से राज्य पुलिस ने अलग से अपराध दर्ज किया है. हस्तक्षेपकर्ता व पुलिस में आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने वाले जितेंद्र मुदलियार की तरफ से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव पक्ष रखते हुए NIA एक्ट को अपवाद बताया और कहा कि किसी भी अपराध की जांच का जिम्मा राज्य पुलिस को होता है. NIA किसी विशेष प्रकरण की ही जांच कर सकती है. मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने आर्डर रिजर्व रखा है.