Jhulelal Jayanti 2024 : चेटीचंड पर्व पर लोग अपने आराध्य के समक्ष मन्नत मानते हैं. पूरे विश्व में चैत्र माह की चंद्र तिथि पर भगवान झूलेलाल की जयंती मनाई जाती है. इस बार झूलेलाल जयंती 9 अप्रैल को बनाए जाएगी.

चेटीचंड महोत्सव की प्रचलित कथा (Jhulelal Jayanti 2024)

चेटीचंड महोत्सव की प्रचलित कथा है कि सिंध प्रदेश के ठट्ठा नगर में एक मिरखशाह नाम का राजा था जो हिन्दुओं पर अत्याचार करता था. वह हिन्दुओं पर धर्म परिवर्तन के लिए भी दबाव डालता था. एक बार उसने धर्म परिवर्तन के लिए लोगों को सात दिन की मोहलत दी. तब कुछ लोग परेशान होकर सिंधु नदी के किनारे आ गए और भूखे-प्यासे रहकर उन्होंने वरुण देवता की उपासना की. तब प्रभु का हृदय पसीज गया और वे मछली पर दिव्य रूप में प्रकट हुए. उन्होंने भक्तों से कहा कि तुम लोग निडर होकर जाओ मैं तुम्हारी सहायता के लिए नसरपुर में अपने भक्त रतनराय के घर माता देवकी के गर्भ से जन्म लूंगा. प्रभु के अवतरण उपलक्ष में सिंधी समाज द्वारा चेटीचंड धूमधाम के साथ मनाया जाता है.

इस दिन नई मन्नतें भी ली जाती हैं. चेटीचंड के दिन प्रात: उठकर अपने बुजुर्गों एवं संतों के आशीर्वाद से दिन की शुरुआत होती है. इसी दिन नवजात शिशुओं का मुंडन भी कराया जाता है. सिंधी समुदाय के लोग अपने घर पांच दीप जलाकर और विद्युत सज्जा कर चेटीचंड को दीवाली की तरह मनाते हैं.

भगवान झूलेलाल को मामते हैं जल देवता

एक मान्यता है कि प्राचीन काल में जब सिंधी समाज के लोग व्यापार से संबंधित जलमार्ग से यात्रा करते थे. तब यात्रा को को सकुशल बनाने के लिए जल देवता झूलेलाल से प्रार्थना करते थे और यात्रा सफल होने पर भगवान झूलेलाल का आभार व्यक्त किया जाता था. इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए चेटीचंड का त्योहार माना जाता है.