शब्बीर अहमद, भोपाल। इनवेस्टर समिट जनवरी-2023 में होने वाला है। उससे पहले ही इनवेस्टर समिट को लेकर एमपी राजनीति तेज हो गई है। पूर्व मंत्री जीतू पटवारी इन्वेस्टर समिट पर सवाल उठाते हुए सीएम शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है। जीतू पटवारी ने इन्वेस्टर समिट से पहले श्वेतपत्र लाने की मांग की है।
जीतू पटवारी ने कहा कि निवेश नोटंकी शुरू करने से पहले पुराने निवेश पर सरकरा को श्वेतपत्र लाया जाए। सरकार करोड़ों रुपए निवेश की बात करती है। बावजूद इसके प्रदेश में विकास नाम का अबोध बालक का विकास क्यों नहीं हो पाया है। पिछले इन्वेस्टर्स समिट पर करोड़ों सरकारी रुपए खर्च किए गए थे।
आदरणीय शिवराज जी,
इन्वेस्टर समिट के नाम पर झूठी लोकप्रियता अर्जित करना और जनता का पैसा बर्बाद करना, भाजपा का फ्लॉप आइडिया है। “निवेश-नौटंकी” शुरू करने से पहले, भाजपा सरकार को पुराने “हवाई निवेश का हिसाब देना चाहिए। प्रधानमंत्री को मध्यप्रदेश बुलाने और झूठे सपने दिखाने के पहले “अनुभवी” और “दूरदर्शी” मुख्यमंत्री के रूप में आप को अब तक हुए निवेश की सच्चाई पर एक श्वेत पत्र भी जारी करना चाहिए।
विदित हुआ है कि आगामी 07-08 जनवरी 2023 को “कर्ज-निर्भर” मध्यप्रदेश में इन्वेस्टर समिट में आने के लिए आपने प्रधानमंत्री को निमंत्रण दिया है। राजनीतिक स्वार्थों और जनता को भ्रमित करने के उद्देश्य से बहुत संभव है कि यह योजना व्यवहार में भी आ जाए. क्योंकि “रिटायरमेंट टूरिज्म” के उद्देश्य से आप मई में दावोस और जर्मनी की यात्रा के बहाने, अंतर्राष्ट्रीय भ्रमण भी शुरू कर सकते हैं।
माननीय मुख्यमंत्री जी, भाजपा सरकार को बताना चाहिए कि अब तक कुल कितना निवेश हुआ? कितने लोगों को रोजगार मिला? कितना निवेश धरातल पर उतरा? आयोजन के नाम पर अब तक भाजपा ने कितना खर्च किया? निवेश के पुराने आंकड़ों का उल्लेख करते हुए मैं आपसे जानना चाहता हूं कि वर्ष 2007 इंदौर ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में 1.22 लाख करोड़, साल 2010 खजुराहो समिट में 2.41 लाख करोड़, वर्ष 2012 इंदौर समिट में 2.94 लाख करोड़, साल 2014 इंदौर इन्वेस्टर्स समिट में 4.42 लाख करोड़ और वर्ष 2016 में इंदौर की ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में 5 लाख 62 हजार 847 करोड़ के 2630 निवेश के प्रस्ताव आने का दावा किया गया था लेकिन इसकी हकीकत अब तक सरकार ने जनता को बताई नहीं है। सभी इन्वेस्टर्स समिट के नाम पर सरकारी खज़ाने से करोड़ों रुपये फूंके गए, कई विदेश यात्राएं की गईं। प्रदेश की तस्वीर बदलने के तमाम दावे के बीच बेरोजगारों की भावनाओं से खेलते हए रोजगार के बडे-बडे दावे भी, बढ़-चढ़कर किए गए. कई कंपनियों को बड़े पैमाने पर ज़मीनों का आवंटन भी किया गया। लेकिन, विकास का अबोध बालक अभी तक बड़ा क्यों नहीं हो पाया है?
मुख्यमंत्री जी, मध्यप्रदेश कभी शांति का टापू कहलाता था, लेकिन एनसीआरबी के आंकड़ों में अब अपराधों की स्थिति ना केवल देश, बल्कि दुनिया में मध्यप्रदेश का नाम खराब कर रही है। इसके पीछे सरकार की नाकामी व अपराधी तत्वों को दिया जा रहा खुला संरक्षण है। सांप्रदायिक ध्रवीकरण के नाम पर बुलडोजर बनी भाजपा झूठी-सस्ती लोकप्रियता बटोर कर जनता को गुमराह कर रही है। लेकिन, भाजपा यह न भूले कि खराब कानून व्यवस्था निवेशकों को विचलित करती है। इसलिए, निवेश के झूठे दावों को जमीन पर लाने के पहले अपराधों की खड़ी फसल को नष्ट करना जरूरी है। असंतुष्ट व्यापारी, परेशान कारोबारी, कर्जदार किसान, बेरोजगार युवा और शिक्षा-स्वास्थ्य जैसे बुनियादी मामलों में लापरवाही मध्यप्रदेश की गलत छवि बना रही है। आशा है आप इन सब विषयों पर विचार करेंगे और इनके निराकरण का प्रयास करेंगे।
शुभकामनाओं सहित
विधायक जीतू पटवारी
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