आतंकवाद के खिलाफ भारत का एक्शन लगातार जारी है है। कोने से पाकिस्तानी जासूसों की गिरफ्तारियां हो रही है। इधर जम्मू-कश्मीर में आतंकियों का एक-एक करके सफाया किया जा रहा है। साथ ही इनका साथ देने वाले लोगों की भी पहचान कर जेल में डाला जा रहा है। इसी कड़ी में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मंगलवार को 3 सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया है ,तीनो पर प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और हिज्ब-उल-मुजाहिदीन (HM) के लिए काम करने का आरोप था।
तीनों कर्मचारियों मे जम्मू-कश्मीर पुलिस में कांस्टेबल मलिक इश्फाक नसीर, स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षक एजाज अहमद और श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में तैनात जूनियर असिस्टेंट वसीम अहमद खान शामिल हैं।
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हथियारों की तस्करी और आतंकियों को रसद पहुंचाने में थे शामिल
आरोप है कि तीनों कर्मचारी हथियारों की तस्करी, सुरक्षा बलों पर हमले और आतंकवादियों को रसद सहायता प्रदान करने में शामिल थे। तीनों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि बर्खास्त कर्मचारी न केवल आतंकवादी संगठनों के समर्थक थे, बल्कि उनके सक्रिय कार्यकर्ता भी थे। ये लोग जम्मू-कश्मीर में नागरिकों और सुरक्षा कर्मियों के खिलाप हमलों को अंजाम देने में आतंकवादी समूहों की मदद कर रहे थे।
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तीनों की कुंडली खंगाल रही खुफिया एजेंसियां
पुलिस अधिकारी ने बताया कि सरकारी संस्थाओं और विशेष तौर पर पुलिस बल में मुखबिरों और आतंकवादियों के सहयोगियों का होना बेहद खतरनाक है। कांस्टेबल मलिक इश्फाक नसीर लश्कर का अंदरूनी सूत्र बताया जा रहा है। वह 2007 में पुलिस सेवा में भर्ती हुआ था। एजाज अहमद 2011 में नियुक्त हुआ था, जो पुंछ क्षेत्र में हिज्बुल के लिए गुप्त रूप से काम कर रहा था। वसीम अहमद खान को पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या से जुड़ा पाया गया है।
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राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता के लिए खतरा
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘पुलिस और अन्य सरकारी विभागों में एक जासूस और एक खतरनाक आतंकवादी सहयोगी का होना एक बहुत बड़ा खतरा है। इसका जारी रहना राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता के लिए बेहद खतरा हो सकता है।
पुलिस की आड़ में आतंकियों का साथ
मलिक इश्फाक नसीर को 2007 में जम्मू-कश्मीर पुलिस में कांस्टेबल के रूप में भर्ती किया गया था। उसका भाई मलिक आसिफ नसीर लश्कर का पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकवादी था। उसे 2018 में एक मुठभेड़ के दौरान सुरक्षाबलों ने मार गिराया था। हालांकि, मलिक ने अपनी आतंकी गतिविधियों को बेखौफ जारी रखा और पुलिस कांस्टेबल होने के कारण वह किसी भी संदेह से बचने में सक्षम था। सितंबर, 2021 में उसका लश्कर से संबंध तब उजागर हुआ, जब जम्मू-कश्मीर पुलिस जम्मू क्षेत्र में हथियारों और विस्फोटकों की तस्करी से संबंधित एक मामले की जांच कर रही थी। वहीं, अब उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है।
शिक्षक की आड़ में आतंकियों का साथ
स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षक एजाज अहमद हिज्ब-उल-मुजाहिदीन (HM) के लिए काम कर रहा था। 2011 में उसे शिक्षक के तौर पर भर्ती किया गया था। वह पुंछ क्षेत्र में एचएम का भरोसेमंद आतंकी सहयोगी बन गया था। वह हथियार, गोला-बारूद और नशीले पदार्थों की तस्करी में आतंकी संगठन की सक्रिय रूप से मदद कर रहा था। एचएम के साथ आतंकी संबंध नवंबर 2023 में उजागर हुए जब पुलिस ने नियमित जांच के दौरान एजाज और उसके दोस्त को गिरफ्तार किया। दोनों एजाज की टोयोटा फॉर्च्यूनर में हथियार, गोला-बारूद और एचएम के पोस्टर ले जा रहे थे।
आतंकियों को पहुंचाता था गोला-बारूद
आगे की जांच में पता चला था कि खेप उसके हैंडलर आबिद रमजान शेख के निर्देश पर प्राप्त हुई थी, जो पीओजेके में एचएम का आतंकवादी है। यह खेप कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों को सुरक्षाबलों और नागरिकों पर हमले करने के लिए दी जानी थी। जांच में आगे पता चला कि एजाज पिछले कई सालों से हथियारों और गोला-बारूद की बड़ी खेप प्राप्त कर रहा था। इसे कश्मीर घाटी में आतंकवादियों तक पहुंचा रहा था।
डॉक्टर बनकर आतंकियों का दे रहा था साथ
मंगलवार को बर्खास्त किए गए एक अन्य सरकारी कर्मचारी वसीम अहमद खान, सरकारी मेडिकल कॉलेज, श्रीनगर में जूनियर असिस्टेंट था। उन्हें 2007 में स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा नियुक्त किया गया था। अगस्त 2018 में एचएम संगठन के साथ उसके आतंकी संबंधों का खुलासा हुआ था। सुरक्षा प्रतिष्ठान के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, वसीम अहमद खान उस साजिश के साजिशकर्ताओं में से एक पाया गया, जिसके कारण 14 जून 2018 को आतंकवादियों द्वारा पत्रकार शुजात बुखारी और उनके दो पीएसओ की हत्या कर दी गई थी।
अहमद खान ने आतंकियों को भगाने में की थी मदद
वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा, ‘वह लश्कर और हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ा था, जिन्होंने पाकिस्तान की आईएसआई के निर्देश पर शुजात बुखारी की हत्या की थी। उसने श्रीनगर में सचिवालय में तैनात सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस के खिलाफ हमले को अंजाम देने के लिए आतंकवादियों को महत्वपूर्ण रसद सहायता भी प्रदान की थी। वह हमले को अंजाम देने के दौरान आतंकवादियों के साथ था और बाद में उन्हें भागने में मदद की थी। उसे 12 अगस्त 2018 को गिरफ्तार किया गया था, जब पुलिस बटमालू में एक आतंकी हमले में शामिल आतंकी सहयोगियों की जांच कर रही थी।’
नई भर्तियों में जांच प्रक्रिया को मनोज सिन्हा ने किया मजबूत
बता दें कि मनोज सिन्हा के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने हर सरकारी विभाग में नई भर्तियों के लिए जांच प्रक्रियाओं को मजबूत किया है। आतंकी समर्थकों द्वारा घुसपैठ को रोकने के लिए पुलिस सत्यापन को अनिवार्य किया है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि आतंकी सहयोगियों की समाप्ति ने संभावित आतंकी सहयोगियों के बीच डर पैदा किया है और आंतरिक तोड़फोड़ की संभावना कम कर दी है। अधिकारी ने कहा, ‘उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के बहुआयामी दृष्टिकोण- आक्रामक आतंकवाद विरोधी अभियानों, आतंकवाद के वित्तपोषण को बाधित करने और सरकार में से समर्थकों और मुखबिरों को हटाने के संयोजन ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के पारिस्थितिकी तंत्र को काफी कमजोर कर दिया है।’
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