नई दिल्ली. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) ने अपने नए अधिसूचना को कुछ दिनों बाद वापस ले लिया है. इसमें कहा गया था कि भूख हड़ताल, धरना या विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाले छात्रों पर 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा, और “डराने या अपमानजनक व्यवहार” में जिन लोगों की संलिप्तता पाए जाने पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है और निष्कासन का भी सामना करना पड़ सकता है. लेकिन इस आदेश को गुरुवार को अचानक विश्वविद्यालय ने वापस ले लिया है. बताया जा रहा है कि छात्रों के आलोचना के बीच यह कदम लिया गया है.

मुख्य प्रॉक्टर के कार्यालय द्वारा गुरुवार को जारी एक अधिसूचना में कहा गया है कि “प्रशासनिक कारणों के मद्देनजर, जेएनयू के छात्रों के अनुशासन और उचित आचरण के नियमों के संबंध में दिनांक 28.2.2023 की अधिसूचना को वापस ले लिया गया है. यह माननीय कुलपति के निर्देश पर जारी किया गया है.”

इस मामले पर जेएनयू की कुलपति शांति डी पंडित ने कहा, ‘मुझे इस तरह के सर्कुलर की जानकारी नहीं थी. मैं किसी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की वजह से हुबली में हूं. मुख्य प्रॉक्टर ने दस्तावेज जारी करने से पहले मुझसे सलाह नहीं ली. मुझे नहीं पता था कि इस तरह का दस्तावेज तैयार किया जा रहा है. मुझे अखबारों से इसके बारे में पता चला. इसलिए मैंने इसे वापस ले लिया है.’

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