Devender Yadav: दिल्ली विधानसभा चुनाव में सूपड़ा साफ होने के बाद भी कांग्रेस के उत्साह में कमी नहीं आ रही है। सरकार गठन के 100 दिन पूरे होने पर सीएम रेखा गुप्ता सरकार स्वास्थ्यकर्मियों की नौकरी पर तलवार लटकाने को लेकर वह कांग्रेस के निशाने पर आ गयी है।
क्या है पूरा मामला ?
कहा जा रहा है कि मोहल्ला क्लीनिक के डॉक्टर और स्टाफ के दूसरे सदस्यों की नौकरी तब तक है जब तक दिल्ली में आयुष्मान आरोग्य मंदिर पूरी तरह सक्रिय ना हो जाएं। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री पंकज सिंह ने भी इस बारे में अहम बैठक की है, माना जा रहा है कि राजधानी में मोहल्ला क्लीनिक को पूरी तरह रीप्लेस कर दिया जाएगा। रेखा सरकार की यह योजना सीधे-सीधे 500 डॉक्टर और 2000 स्टाफ पर असर डालती है, उनकी नौकरी खतरे में आती है। अब सरकार के इस निर्णय से वह विपक्ष के निशाने पर आ गई है।
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‘स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांति लाने की बात कहने वाली सरकार की असलियत सामने आई’
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने बीजेपी सरकार को घेरते हुए कहा है कि बीजेपी ने सत्ता में आते ही स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांति लाने का वादा किया था, लेकिन जमीनी हकीकत इसके ठीक उलट है। देवेन्द्र यादव के आरोपों के मुताबिक, रेखा गुप्ता सरकार रोजगार देने के बजाय दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक में कार्यरत करीब 2000 कर्मचारियों को हटाने की तैयारी शुरू कर दी है।
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‘कर्मचारियों में भारी असमंजस और भय का माहौल’
देवेन्द्र यादव ने कहा कि मोहल्ला क्लीनिक के कर्मचारियों में भारी असमंजस और भय का माहौल है। वे अलग-अलग अधिकारियों से मुलाकात कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। जबकि कुछ ही समय पहले इन कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से मुलाकात की थी और उन्हें यह भरोसा दिलाया गया था कि आयुष्मान आरोग्य मंदिर परियोजना के तहत उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी।
‘नो ड्यूज सर्टिफिकेट पर दस्तखत करवा रही सरकार’
देवेन्द्र यादव ने आरोप लगाते हुए कहा कि इन कर्मचारियों की सेवाएं बिना किसी स्पष्ट प्रक्रिया के समाप्त की जा रही हैं, जो प्रिंसीपल ऑफ नेचुरल जस्टिस और मानवीय पहलू के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि इन कर्मचारियों को पिछले दो महीनों से वेतन नहीं मिला है, जिससे उनके परिवार भुखमरी के कगार पर आ गए हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इन कर्मचारियों से ज़बरदस्ती नो ड्यूज सर्टिफिकेट पर दस्तखत करवा रही है, ताकि उन्हें चुपचाप बाहर का रास्ता दिखाया जा सके।
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बीजेपी की नीयत पर सवाल
देवेंद्र यादव ने सवाल उठाया कि जब मुख्यमंत्री स्वयं एक ओर भरोसा दे रही हैं, तो दूसरी ओर कर्मचारियों को बाहर का रास्ता क्यों दिखाया जा रहा है? उन्होंने इस पूरे मामले को लोकतांत्रिक मूल्यों और कर्मचारी हितों के साथ किया गया अन्याय बताया और बीजेपी सरकार की नीयत पर गंभीर सवाल खड़े किए।
सरकार का तर्क
इस मामले में सरकार का तर्क है कि इन डॉक्टरों को पैनल से हटाया जरूर जाएगा, लेकिन पर्याप्त समय भी मिलेगा, अभी के लिए यह अवधि एक साल तक की हो सकती है। वैसे मीटिंग में नए डॉक्टरों को हायर करने की बात भी सामने आई है, नेशनल हेल्थ मिशन के जो भी नियम हैं, उन्हीं को ध्यान में रखकर दिल्ली में आयुष्मान आगोर्य मंदिर के लिए डॉक्टरों को नौकरी पर रखा जाएगा।
वैसे सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि डॉक्टरों को नौकरी देने में पूरी तरह पारदर्शिता रखी जाएगी, मोहल्ला क्लीनिक का कोई डॉक्टर भी अप्लाई कर सकता है। जानकारी के लिए बता दें कि इस साल 31 मार्च को मोहल्ला क्लीनिक के डॉक्टर्स और स्टाफ सदस्यों का कॉन्ट्रैक्ट समाप्त हो गया था। उसके बाद से ही कयास लग रहे थे कि रेखा सरकार कोई बड़ा कदम उठाने वाली है।
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