राजनांदगांव- छत्तीसगढ़ में सियासी चर्चा का सबसे बड़ा मुद्दा इन दिनों कुछ हैं, तो वह हैं जेसीसी सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह के खिलाफ राजनांदगांव से चुनाव लड़ने का ऐलान. जोगी ने ऐलान किया, तो राजनांदगांव में उनकी डिनर डिप्लोमेसी भी शुरू हो गई. इस बीच ही रमन सिंह जब वहां पहुंचे, तो उनसे पूछा गया कि जोगी डिनर करने और आप लंच करने यहां आए हैं, तो इस पर उन्होंने चुटकी भरे अंदाज में कहा कि-

मैं लंच और डिनर दोनों ही राजनांदगांव में लेता हूं. जोगी पांच साल में एक बार आए हैं. अच्छी बात हैं. ये संस्कारधानी हैं और यह सबका स्वागत करती हैं.

दरअसल जोगी के ऐलान के बाद कहें या फिर रमन की रणनीति का हिस्सा. चुनावी दहलीज के करीब पहुंचते-पहुंचते उनका विधानसभा क्षेत्र का दौरा बढ़ गया हैं. गांवों के दौरे के साथ-साथ विकास कार्यों की गति भी तेज की गई है. हालांकि जोगी समर्थकों की दलील है कि ऐसा उन्होंने जोगी के चुनाव लड़े जाने के ऐलान के बाद किया है. लेकिन सियासी गलियारों में ये बात हर कोई बखूबी जानता और समझता है कि मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह अक्सर यह कहते रहे हैं कि कोई भी चुनाव चुनौतीपूर्ण होता हैं. लेकिन जनता के दरबार में वहीं जीत दर्ज करता हैं, जो काम करता हैं.

हालांकि अब जब अजीत जोगी राजनांदगांव से अपनी राजनीतिक को नई दिशा देने की कवायद में जुटे हैं, तो उनका हर एक्शन, रिएक्शन वाला साबित हो रहा है. डिनर डिप्लोमेसी के बहाने जोगी राजनांदगांव में अपनी ताकत को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, तो डाॅ.रमन सिंह अपनी सक्रियता बढ़ाने की. इधर कांग्रेस रमन-जोगी की रणनीति को भांप रही हैं. कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पी एल पुनिया का यह कहना कि रमन-जोगी के खिलाफ स्थानीय चेहरे को टिकट दिया जाएगा, यह बताता है कि कांग्रेस सतही तौर पर अपनी तैयारी जारी रखे हुए हैं.

बहरहाल जोगी की चुनावी बिसात बिछ चुकी है. रमन अपने विकास रथ पर सवाल राजनांदगांव का मैराथन दौरा कर रहे हैं, तो कांग्रेस सियासी गणित को समझने और उसका हल ढूंढने की कवायद में जुटी है.