रायपुर। नंदकुमार साय ने अजीत जोगी द्वारा हाई पावर कमेटी के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में जाने पर कहा कि जिसने पूरी ज़िंदगी न्यायालीन प्रक्रिया को उलझाकर उसे बाधा पहुंचाई हो उसकी अपील स्वीकार करने योग्य नहीं है. नंद कुमार साय ने कहा है कि अजीत जोगी ने न्याय को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है.
अजीत जोगी ने बुधवार को हाईपावर कमेटी की रिपोर्ट के खिलाफ 524 पेज की याचिका लगाई है. याचिका में अनुसूचित जाति-जनजाति और पिछड़ा वर्ग सामाजिक प्रास्थिति निर्धारण के नियम 7 की वैधता को चुनौती दी गई है. नियम 7 हाई पावर कमेटी के गठन को सुनिश्चित करती है. जोगी ने हाई पावर कमेटी की रिपोर्ट पर रोक लगाने की मांग भी की है. इस याचिका की कॉपी नंदकुमार साय की वकील रक्षा अवस्थी और उनके वरिष्ठ उपेंद्र नाथ अवस्थी को मुहैया कराई गई है. दोनों अभी याचिका का अध्य्यन कर रहे हैं.
नंदकुमार साय ने आरोप लगाया है कि 1967 से 2003 तक अजीत जोगी ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाए हैं. उन्होंने कहा कि 1994 में माधुरी पाटिल केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जो व्यक्ति फर्जी तरीके से जाति प्रमाण पत्र का फायदा पहुंचाता है वह हमेशा जाति के प्रकरण की जांच को बाधित और देर कराता है. साय ने कहा कि अजीत जोगी ने भी अपने प्रकरण में यही किया. उन्होंने कहा कि जोगी ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके मामले को लटकाए रखा. और जानबूझकर लटकवाए रखा.
साय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार अपनी जाति प्रमाण पत्र को प्रमाणित करना चाहिए लेकिन उन्होंने 23 सालों में कभी ऐसा नहीं किया. नंदकुमार साय ने कहा कि जिस व्यक्ति ने हमेशा न्यायलीन प्रक्रिया में बाधा पहुंचाई हो, कोर्ट में झूठे तथ्य रखकर उसे उलझाए रखा हो, वो याचिका की पत्रत्रा नही रखते।