पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। पत्रकार उमेश राजपूत की हत्या के मामले में नया मोड़ आ गया है. अब पीड़ित परिवार ने सीबीआई जांच पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं. पीड़ित परिवार ने ही हत्याकांड की जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी, लेकिन अब परिवार का कहना है कि अब उनका सीबीआई जांच से मोह भंग हो गया है.

सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी

मृतक पत्रकार उमेश राजपूत का परिवार न्याय पाने के लिए अब सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहा है. इस हत्याकांड में सीबीआई शुरू से ही आलोचना झेल रही है. जांच से असंतुष्ट उमेश राजपूत के भाई परमेश्वर का आरोप है कि वारदात को हुए करीब साढ़े 6 साल का वक्त बीत गया है. वहीं सीबीआई जांच को भी 2 साल से ज्यादा का वक्त हो गया है, बावजूद इसके सीबीआई अब तक कातिलों तक नहीं पहुंच पाई है. उन्होंने सीबीआई पर आरोपियों को बचाने का भी आरोप लगाया है.

सीबीआई जांच पर पीड़ित परिवार ने उठाए गंभीर सवाल

 

इधर सीबीआई उमेश राजपूत हत्याकांड में उसके पत्रकार साथी शिवकुमार वैष्णव और उसके बेटे विकास वैष्णव को गिरफ्तार कर अपनी पीठ थपथपा चुकी है. इसमें से शिवकुमार वैष्णव ने करीब 6 महीने पहले सीबीआई कस्टडी में खुदकुशी की कोशिश की थी. बाद में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी. ऊपर से सीबीआई को शिवकुमार और उसके बेटे विकास के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत भी नहीं मिले. इस बात को लेकर उमेश राजपूत के छोटे भाई परमेश्वर नाराजगी भी जता चुके हैं. उनका कहना है कि सीबीआई कोर्ट का फैसला आने के बाद वे न्याय पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट भी जाएंगे. क्योंकि उन्हें सीबीआई की जांच पर भरोसा नहीं है.

परमेश्वर राजपूत ने कहा कि वे प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर भाई की हत्या के मामले में सही जांच की मांग भी कर चुके हैं.

पत्रकार उमेश राजपूत हत्याकांड

गौरतलब है कि गरियाबंध के पत्रकार उमेश राजपूत की हत्या 21 जनवरी 2011 को हो गई थी. पुलिस की जांच से असंतुष्ट परिवार ने सीबीआई जांच की मांग की थी. जिसके बाद जुलाई 2015 को सीबीआई को जांच का जिम्मा सौंपा गया. इधर सीबीआई ने बिना किसी ठोस सबूत के मौका-ए-वारदात पर मौजूद उमेश राजपूत के पत्रकार साथी शिवकुमार वैषणव और उसके बेटे विकास को गिरफ्तार कर लिया था. मुख्य आरोपी बनाए जाने पर शिवकुमार ने खुदकुशी की कोशिश की और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.

इधर पीड़ित परिवार का आरोप है कि घटनास्थल से जब्त सामान को छुरा पुलिस ने गायब कर दिया और सीबीआई ने इस बारे में पुलिस से कोई पूछताछ नहीं की. वहीं बिलासपुर के एक बिल्डर का नाम बार-बार इस हत्याकांड में आ रहा है, उससे भी सीबीआई ने पूछताछ करना मुनासिब नहीं समझा.