रायपुर। हर बार की तरह इस बार भी जूनियर डॉक्टर्स अपनी मांगें मनवाने के लिए मनमानी पर उतर आए हैं. अपनी मांगों को लेकर दबाव बनाने के लिए जूनियर डॉक्टरों का सबसे बड़ा हथियार है हड़ताल.. और ये कोई पहला मामला नहीं, जब जूडा ने हड़ताल का सहारा लिया है. मरीजों की जान को सांसत में डालना इनके लिए कोई नई बात नहीं, जबकि डॉक्टरी पेशे में मरीज से बढ़कर कोई नहीं होता है.

अब एक बार फिर आज से अपनी 8 सूत्रीय मांगों को लेकर जूनियर डॉक्टर्स अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. इधर जूडा की हड़ताल के चलते मरीजों की जान खतरे में है. हालांकि उन्होंने आश्वासन दिया है कि इमरजेंसी सेवाएं प्रभावित नहीं होंगी, लेकिन मरीज़ तो मरीज़ है और हर मरीज़ को डॉक्टर्स की देखरेख की उतनी ही जरूरत होती है. क्योंकि अगर डॉक्टर की जरूरत ही नहीं होती, तो फिर मरीज़ हॉस्पिटल में भर्ती ही क्यों होता.

डॉक्टरों ने रात 8 से सुबह 8 बजे तक सेवाएं देने की बात कही है.

 

बता दें कि पिछले दिनों हुए अंबेडकर अस्पताल में विवाद के बाद जूडा ने ये कदम उठाया है. कल हुई प्रेस वार्ता में जूडा एसोसिएशन के अध्यक्ष श्रेयस जायसवाल ने कहा कि इनकी मांगों में पिछले दिनों अस्पताल में हुई घटना के आरोपी को जमानत दिए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करें, मरीजों के साथ रहने वाले परिजनों की संख्या तय हो, वार्डों में सुरक्षा गार्ड की तैनाती हो, सभी वार्डों में सीसीटीवी लगाने, वार्ड में हर वक्त सिक्योरिटी गार्ड के राउंड लगाने, स्टाफ के खाली पदों पर जल्द भर्ती और अस्पताल परिसर में बनी पुलिस चौकी में पुलिस बल तैनात करने और वार्डों में इमरजेंसी हेल्पलाइन देना शामिल है.