रायपुर. आज ज्येष्ठ पूणिमा है. ये ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को कहा जाता है. शास्त्रों में इस दिन का खास महत्व है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती है.
ज्येष्ठ पूणिमा का व्रत सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना गया है. ज्येष्ठ पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त की बात करें तो ये आरंभ 24 जून, गुरुवार को प्रात: 03 बजकर 32 मिनट से होगा. वहीं 25 जून, शुक्रवार को रात्रि 12 बजकर 09 मिनट पर यह समाप्त हो जाएगा.
शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठ पूर्णिमा पर भगवान विष्णु को समर्पित करते हुए व्रत एवं पूजन करने का विधान है. पूर्णिमा के व्रत में पवित्र नदी में स्नान और दान का काफी महत्व होता है परन्तु कोरोना महामारी के कारण नदियों में जा कर स्नान करना संभव न हो, तो नहाने के पानी में गंगा जल मिलाकर नहाने से भी गंगा स्नान का पुण्य मिलता है.
ज्येष्ठ पूर्णिमा का स्थान सात विशेष पूर्णिमा में आता है. इस दिन भगवान विष्णु का व्रत करने से सभी कष्ट एवं संकट समाप्त होते हैं तथा सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है.
पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान से पहले व्रत का संकल्प लें. इस दिन सुबह जल्दी स्नान कर भगवान विष्णु का व्रत रखना चाहिए. रात में चंद्रमा को दूध और शहद मिलाकर अर्घ्य देना चाहिए. इससे भक्तों के सभी रोग और कष्ट दूर हो जाते हैं.
ये है मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- 03:37 ए एम से 04:18 एएम तक
अभिजित मुहूर्त- 11:23 ए एम से 12:18 पीएम तक
विजय मुहूर्त- 02:07 पी एम से 03:02 पीएम तक
गोधूलि मुहूर्त- 06:28 पी एम से 06:52 पीएम तक
अमृत काल- 12:56 ए एम, जून 25 से 02:22 एएम तक
रवि योग- 04:59 ए एम से 09:11 एएम तक
ज्येष्ठ पूर्णिमा के उपाय
- मान्यता के अनसार ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय के समय दूध में चीनी और चावल मिलाकर चंद्र के मंत्रों का जाप करते हुए चंद्रमा को अर्ध्य देनें से धन संबंधी सभी समस्याएं खत्म होती है.
- सभी इच्छाओं की पूर्ति के लिए ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन दूध में शहद और चंदन मिलाकर चद्रंमा को अर्ध्य दें.
- 3.ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन 11 कौड़िया माता लक्ष्मी को चढ़ाए उन पर हल्दी का तिलक करके दूसरे दिन अपनी तिजोरी में रख लें. माना जाता है कि इस उपाय से कभी भी आर्थिक समस्या का सामना नहीं करना पड़ता.
- माना जाता है कि ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन चंद्रमा के साथ त्राटक करने से नेत्रों की रोशनी बढ़ती है.
- 5.ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की भी पूजा करनी चाहिए. मान्यता के अनुसार इससे सभी समस्याओं से छुटकारा मिलता है.
- माना जाता है कि ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ के नीचे कुछ मीठा रखकर मीठा जल अर्पण करने से मां लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहेगी.
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