भादो की हरियाली के बीच सुहागिनों का प्रिय पर्व कजरी तीज इस वर्ष मंगलवार, 12 अगस्त 2025 को धूमधाम से मनाया जाएगा. भाद्रपद कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाने वाली यह तीज, उत्तर भारत, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में विशेष लोक-आस्था से जुड़ी होती है.

इस दिन सुहागिनें अपने पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य के लिए व्रत रखती हैं. छत्तीसगढ़ में इसे कजरौत तीज के नाम से जाना जाता है, जहां ग्रामीण महिलाएं पारंपरिक लोकगीत गाते हुए झूले झूलती हैं और नीमड़ी माता की पूजा करती हैं. मध्यप्रदेश के बघेलखंड, बुंदेलखंड और मालवा अंचल में भी यह पर्व बड़े उत्साह से मनाया जाता है.
कजरी तीज की एक खास परंपरा कजरी गीतों की है. जिसमें खेती, प्रेम, विरह और पारिवारिक भावनाओं को झूले की थाप पर गाया जाता है. महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं और रात को चंद्रमा या नीम के वृक्ष को अर्घ्य देकर व्रत का समापन करती हैं. इस तीज में सिर्फ पूजा नहीं, बल्कि लोकजीवन की मिट्टी की सुगंध भी रची-बसी होती है. परंपरा, भक्ति और प्रेम का सुंदर संगम है कजरी तीज.
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