Kalbhairav Jayanti 2023: रायपुर. भगवान भैरव की महिमा अनेक शास्त्रों में मिलती है. भैरव जहां शिव के गण के रूप में जाने जाते हैं, वहीं वे दुर्गा के अनुचारी माने गए हैं. भैरव की सवारी कुत्ता है. चमेली फूल प्रिय होने के कारण उपासना में इसका विशेष महत्व है. शिव से उत्पत्ति होने के कारण इनका जन्म माता के गर्भ से नहीं हुआ और इन्हें अजन्मा माना जाता है. इन्हें काशी के कोतवाल के नाम से भी जाना जाता है और ये अपने भक्त की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं. काल भैरव जयंती 05 दिसम्बर 2023 को है. इस बार भैरवाष्टमी मंगलवार के दिन आ रही है.
देवी के 52 शक्तिपीठ की रक्षा भी कालभैरव अपने 52 विभिन्न रूपों में करते हैं. भगवान कालभैरवनाथ के दर्शन और पूजन की महत्ता इसी बात के समझी जा सकती है कि न तो भगवान शिव की पूजा और न ही देवी के किसी भी शक्तिपीठ के दर्शन भैरव जी के दर्शन के बिना पूरे माने गए हैं. श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग हो, श्री काशी विश्वनाथ हो या देवी कामाख्या के दिव्य दर्शन हों, बिना भैरवनाथ के दर्शन के शिव-शक्ति के दर्शन अधूरे माने गए हैं.
तत्काल मिलता है पूजन का फल (Kalbhairav Jayanti 2023)
कालभैरव जी का नाम उच्चारण, मंत्र जाप, स्तोत्र, आरती इत्यादि तत्काल प्रभाव देता है और मनुष्य की दैहिक, देविक,भौतिक एवं आर्थिक समस्याएं समाप्त हो जाती हैं. कलयुग में हनुमान जी के अतिरिक्त केवल कालभैरव जी की पूजा एवं उपासना का ही तत्काल प्रभाव बताया गया है, इसलिए हमें इनकी उपासना करके इन्हे प्रसन्न रखना चाहिए.
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