चंद्रकांत देवांगन, दुर्ग. कामधेनु विश्वविद्यालय में निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार के मामले की फिर से एक बार शिकायत होने के बाद मंत्री रविंद्र चौबे ने जांच के आदेश दिए थे. जिसके बाद विश्वविधालय के द्वारा अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है. विश्वविद्यालय में पदस्थ कुलपति और रजिस्टार की माने तो शिकायत के बाद पूर्व में जांच तो हुई है, लेकिन वर्तमान में मंत्री के द्वारा भी जांच के बाद कार्रवाई की बात कही गई है, जो मीडिया के माध्यम से ज्ञात हुआ था पर अब तक कोई आदेश मंत्रालय से प्राप्त नहीं हुआ है. इस बारे में पत्र प्राप्त होते ही जांच के बाद कार्यवाही की जाएगी.

इस मामले में भ्रष्टाचार की शिकायत करने वाले प्रार्थी विनोद तिवारी का कहना है कि दस्तावेजी प्रमाण के साथ शिकायत की गई थी, जिसमें जांच के बाद 16 महीने बीत गए, कार्यवाही अब तक नहीं हुई, इससे साबित होता है कि पूरा प्रबंधन ऊपर से लेकर नीचे तक भ्रष्टाचार में लिप्त है और एक दूसरे को बचाने के चलते ही कार्यवाही नहीं की जा रही है.

जांच किये 16 माह बीत गए

कामधेनू विश्वविद्यालय द्वारा बिलासपुर और दुर्ग में 29 करोड़ के निर्माण कार्यों की स्वीकृति प्राप्त हुई थी, जिसमें टेंडर प्रक्रिया से निर्माण कार्यों में गड़बड़ी का आरोप भी लगाया गया था. कांग्रेस नेता व विनोद तिवारी ने भी सूचना के अधिकार के माध्यम से कई दस्तावेज प्राप्त कर शिकायत की थी. तिवारी का कहना है कि जांच हो जाने के बाद भी दोषियों पर 16 माह बीतने तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है. दुर्ग में 4 और बिलासपुर में 3 ठेकेदारों द्वारा यह कार्य किया जा रहा है.

यह पूरा निर्माण विश्वविद्यालय की निर्माण शाखा की देखरेख में चल रहा है. विश्वविद्यालय प्रबंधन ऊपर से लेकर नीचे तक भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है, जिसमे कुलपति, रजिस्टार, पूर्व पदस्थ ईई एसके अग्रवाल से लेकर सस्पेंड एसडीओ उल्लास देशमुख, सब इंजीनियर हिमालय थवानी सभी अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त है. उन्होंने इसकी शिकायत वर्तमान सरकार में मंत्री और मुख्यमंत्री से भी की है. भाजपा शासन काल में हुए इस भ्रष्टाचार के दोषियों को वर्तमन सरकार में कार्यवाही कर उनकी असली जगह जेल तक पहुंचाया जाएगा.

सब इंजीनियर का सारा खेल

यहां पदस्थ सब इंजीनियर हिमालय थवानी पर नियम विरुद्ध तरीके से अपने चहेते ठेकेदारों का बिल पास कर दिये जाने का आरोप है तो वहीं कुछ ठेकेदारों का बिल कई-कई महीने जानबूझकर रोक कर रखा है. सूत्रों की माने तो हिमालय थवानी जो कि सब इंजीनियर और एसडीओ के प्रभार पर पदस्थ है. जानकारी के मुताबिक साहब 2 बजे आफिस पहुंचते हैं और उन्हें सारी रिपोर्ट मोबाईल पर ही चाहिए न ही वो फिल्ड में जाते हैं और न ही निर्माणाधीन कार्य के समय उसकी जांच करते हैं. सब इंजीनियर साहब कागजों के माहिर खिलाड़ी है. सारा खेल कागजों में हो जाता है. अकाउंटेंट से लेकर चपरासी तक के कार्यों का श्रेय लेने से भी नहीं चुकते. अपने आप को बचाने के लिए अपने वरिष्ठ अधिकारियों पर भी सीआर ख़राब करने की धमकी देने का आरोप भी लगा चुके हैं. वहीं वर्तमान में जो नए ईई पदस्थ है अशोक कुमार अग्रवाल वो कालेज में प्रोफ़ेसर है, जिन्हें तकनीकी जानकारी भी नहीं है सब इंजीनियर के बाताये अनुसार अपनी कलम चलाते हैं. ऐसे में हिमालय साहब ही सब इंजीनियर से लेकर ईई तक के काम में दखल रखते हैं.

ईई ने चहेते ठेकेदारों के भुगतान किये जाने के सवाल पर कहा कि किसी भी ठेकेदार का भुगतान नहीं रोका गया है और न ही चहेतों के आधार पर भुगतान किया गया है. पूरे 6 के 6 ठेकेदारों का भुगतान कर दिया गया है. वहीं अगर किसी का थोडा बहुत भी भुगतान रुका है तो कुछ कमियां होगी जो दूर होते ही भुगतान कर दिया जाएगा. वहीं कमीशन न मिलने की वजह से भुगतान रुकने के सवाल पर उनका कहना था कि ऐसी कोई जानकारी मुझे नहीं है कि कोई कमीशन की बात सामने आई हो.

कुलपति व रजिस्टार कार्रवाई को लेकर कितने गंभीर

मामले में विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एनपी दक्षिणकर का कहना है कि वर्त्तमान में किसी तरह की शिकायत प्राप्त नहीं हुई है पर मंत्री के आदेश के बारे में मीडिया के माध्यम से पता चला है. शासन का जो भी आदेश होगा उसका पालन किया जाएगा. मामले में जांच की जाएगी. रजिस्टार पीके मरकाम का कहना था कि पूर्व में भी शिकायत प्राप्त हुई है और इसमें उच्च स्तरीय जांच समिति गठित कर शासन को रिपोर्ट सौपी जा चुकी है. वहीं वर्तमान में जिस तरह से मंत्री का बयान आया है तो निश्चित तौर पर जांच कर दोषियों पर उचित कार्रवाई की जाएगी.

क्या था मामला 

कामधेनू विश्वविद्यालय द्वारा बिलासपुर और दुर्ग में एडमिनिस्ट्रेटिव बिल्डिंग सहित करोड़ों रुपये के कई निर्माण कार्य करवाए जा रहे हैं. जिसमें बिलासपुर में कॉलेज बिल्डिंग, आडिटोरियम और बॉयज हास्टर बिल्डिंग, गर्ल्स हॉस्टल एफजीएच टाइप क्वार्टर्स एंड टीवीसीसी बिल्डिंग, गिर बुल मदर फार्म बिलासपुर, दुर्ग के अंजोरा में रिसर्च टावर बिल्डिंग, एडमिनिस्ट्रेटिव बिल्डिंग अंजोरा, कॉलेज बिल्डिंग का एक्सटेंशन का कार्य शामिल है. दुर्ग में दिसंबर 2016 और बिलासपुर में जुलाई 2017 में कार्य की शुरुआत हुई. दुर्ग में 4 और बिलासपुर में 3 ठेकेदारों द्वारा यह कार्य किया जा रहा है. यह पूरा निर्माण विश्वविद्यालय की निर्माण शाखा की देखरेख में चल रहा है. आरोप है कि यहां पदस्थ सब इंजीनियर हिमालय थवानी नियम विरुद्ध तरीके से अपने चहेते ठेकेदारों का बिल पास कर दिये. वहीं कुछ ठेकेदारों का बिल कई-कई महीने जानबूझकर रोक कर रखा. इससे पहले ठेकेदारों द्वारा ईई के सामने बिल पास करने की गुहार लगाने के बाद यहां पदस्थ ईई एसके अग्रवाल द्वारा थवानी को ठेकेदारों के कार्यों से संबंधित एमबी व बिल इत्यादि प्रस्तुत करने का आदेश दिया लेकिन उन्होंने उसे अनसुना कर दिया. जिसके बाद उन्होंने थवानी को दो-दो पत्र विस्तार में लिखे और इसकी प्रतिलिपि विश्वविद्यालय प्रबंधन को भी भेजी. अग्रवाल यहां दिसंबर 2018 से 26 अगस्त 2019 तक ईई के पद पर पदस्थ थे.