रायपुर. कांकेर मामले में पत्रकारों की जांच समिति ने कमल शुक्ला के उन आरोपों की पड़ताल की जिसमें उन्होंने थाने में तमंचा लहराने और गला रेतने की बता कही थी. समिति ने कमल के विरोधी पक्ष के कमल पर गालीगलौज करने और उकसाने के आरोपों की भी जांच की है. समिति ने इन तमाम आरोपों को बेबुनियाद पाया है.

जांच समिति का पत्रकार कमल शुक्ला ने शुरु से बहिष्कार किया था. रिपोर्ट के मुताबिक उसके बाद भी समिति ने कई मतर्बा कमल शुक्ला का बयान लेने की कोशिश की. लेकिन कमल शुक्ला ने बयान नहीं दिया. उनके बेटे शिवम ने उनका बयान सतीश यादव के मार्फत भिजवाने की बात कही. समिति ने उनके तमाम आरोपों की पड़ताल की और तथ्य जुटाकर सच्चाई का पता लगाया.

कमल शुक्ला ने आरोप लगाए थे कि थाने के अंदर उन्हें तमंचा दिखाकर धमकाया गया. कमल शुक्ला ने ये भी आरोप लगाए कि उनका गला रेतने की कोशिश की गई. कमल शुक्ला ने इसके लिए थाने के भीतर सीसीटीवी फुटेज की जांच करने को कहा.

इन आरोपों पर समिति ने गफ्फार मेमन से विस्तार से पूछताछ की. गफ्फार ने कहा कि वायरल वीडियो आधा सच दिखा रहा है. उससे पहले भी थाने में कुछ हुआ था, जिसे कमल शुक्ला के साथियों ने कैमरे से रिकार्ड नहीं किया. उनके साथियों ने वीडियो तभी से रिकार्ड किया जब उन्होंने कमल शुक्ला के जवाब में अपना आपा खोया. गफ्फार ने कमल शुक्ला पर उन्हें मां की गाली देने और उकसाने का आरोप लगाया.

समिति को दिए बयान में गफ्फार मेमन ने कहा है कि थाने में कमल शुक्ला उन्हें लगातार गाली दे रहे थे और उनके लाइसेंसी पिस्टल का जिक्र करते हुए उकसा रहे थे. इन बातों से वे आपा खो बैठे.

इन तमाम बयानों पर समिति ने घटनास्थल पर मौजूद रहे कई पत्रकारों और पुलिस स्टॉफ से पूछताछ की. सीसीटीवी फुजेट देखे. समिति ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि कमेटी ने उस वीडियो का परीक्षण किया जिसमें गफ्फार मेमन जेब में पिस्टल रखने की बात कर रहा है. इस वीडियो में कहीं भी पिस्टल नज़र नहीं आ रही है. गफ्फार कह रहा है कि वो बगैर लाइसेंस के भी चलाया है और लाइसेंस वाला भी रखा है. गफ्फार ने कहा कि वो लाइसेंस वाला अपनी सुरक्षा के लिए रखता है. कमेटी ने कहा कि सभी किसी भी वीडियो में गफ्फार के हाथ में या जेब में पिस्टल नहीं दिख रही है. थाने में मौजूद पुलिस स्टाफ के कई अधिकारियों और कर्मियों ने अपने बयान में गफ्फार के पिस्तौल होने की बात नकारी है. गफ्फार के पिस्टल रखने के दावे पर टीआई ने भी जांच कमेटी को दिए बयान में कहा कि गफ्फार ने फुलपैंट की  जेब की ओर इशारा करते जेब में पिस्टल का दावा किया था, लेकिन घटना के वक्त उसके पास पिस्टल नहीं थी. उस वक्त वहां मौजूद महिला पुलिस कर्मी ने अपने बयान में कहा ने भी गफ्फार के पास किसी पिस्टल होने से इनकार किया है.
 
कमल शुक्ला ने आरोप लगाया था कि थाने के अंदर उसकी कनपटी पर पिस्तौल रखी गई, जिसे सीसीटीवी फुटेज में देखा जा सकता है. थाने के स्टाफ ने अपने बयान में एसी किसी घटना से साफ इनकार किया. पुलिस का दावा है कि थाने के अंदर घटना के बाद सीसीटीवी लगाए गए. घटना के दिन थाने के अंदर सीसीटीवी था ही नहीं. जांच कमेटी को दिए बयान में पत्रकारों ने भी बताया कि घटना के बाद थाने के अंदर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए.
 
कमल शुक्ला ने आरोप लगाया है कि थाने के अंदर उनका गला रेतने की कोशिश की गई, लेकिन इस तरह का कोई तथ्य जांच टीम को नहीं मिला. ना ही घटनास्थल पर मौजूद किसी भी पुलिस अफसर या कर्मी ने इसकी पुष्टि की. एमएलसी रिपोर्ट में भी शुक्ला के गले पर भी कोई निशान नहीं मिला. 

 

जांच में गफ्फार मेमन और जीतेंद्र ठाकुर समेत अन्य लोगों के कमल शुक्ला द्वारा गाली देने के आरोप झूठे पाए गए. न ही कमेटी को घटनास्थल पर अपने विरोधियों को उकसाने के कोई सबूत मिले. घटनास्थल पर मौजूद थाने के किसी भी अधिकारी ने कमल शुक्ला द्वारा विरोधी पक्ष से गालीगलौज किए जाने की पुष्टि नहीं की. जीतेंद्र ठाकुर के साथी कांग्रेसियों द्वारा कमल शुक्ला को आक्रामक तरीके से धमकाने  और गालीगलौज किए जाने के कई वीडियो क्लिपिंग भी हैं. यही बात पुलिस अफसरों के बयान भी हैं. जांच टीम को दिए बयान में दो महिला पुलिस अफसरों ने भी माना कि जिस तरह की अभद्र भाषा का इस्तेमाल कांग्रेसी कर रहे थे, वह असहनीय था. उन्होंने ऐसा करने से कांग्रेसियों को रोका.
 
समिति ने मेडिकल रिपोर्ट का अध्ययन किया उसके बाद इसे बनाने वाले डॉक्टर से फोन पर बात की. डॉक्टर ने बताया कि सिर पर कमल शुक्ला को चोट लगी थी लेकिन ये सामान्य किस्म की चोट थी. गहरी चोट नहीं थी. कमल शुक्ला को सिर पर 7*3 की चोट लगी थी. ये चोट किसी धारदार हथियार से नहीं लगी थी बल्कि किसी भोथरी चीज़ से लगी थी. बयानों में कमेटी को बताया गया कि जो सिर में लगी चोट थी, उसी से खून बहकर गर्दन तक आ गई थी.