Bihar Election 2025: बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को अब कुछ ही समय शेष है। चुनाव से पहले प्रदेश में SIR का मुद्दा छाया हुआ है। पूरा विपक्ष इसे वोट चोरी की साजिश बताते हुए बीजेपी और चुनाव आयोग पर हमलावर है।SIR के खिलाफ कल रविवार 17 अगस्त से राहुल गांधी बिहार में वोट अधिकार यात्रा पर हैं। इस बीच कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए चुनाव आयोग पर जमकर निशाना साधा है।
बड़बोले नेताओं ने खोल दी पोल- कन्हैया कुमार
कन्हैया कुमार ने कहा कि, पिछले लोकसभा चुनाव में BJP का नारा था, ‘अबकी बार 400 पार’ BJP का कहना था- 400 सीट जीते तो संविधान बदल देंगे, लेकिन उनकी इस साजिश की पोल उनके कुछ बड़बोले नेताओं ने खोल दी। पहले तो BJP ये नहीं कर पाई, लेकिन अब वोट चोरी करके BJP के लोग संविधान बदलना चाहते हैं।
चुनाव आयोग फंस गया- कन्हैया कुमार
उन्होंने कहा कि, कई सर्वे में कहा गया कि महाराष्ट्र-हरियाणा में कांग्रेस सरकार बनेगी, लेकिन परिणाम उल्टा आया। इसके बाद हमें शक हुआ और हमने चुनाव आयोग से वोटर लिस्ट मांगी, ताकि हम धांधली की जांच कर सकें। हमारी मांग के बाद चुनाव आयोग प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बार-बार कह रहा था कि वोटर लिस्ट बिल्कुल साफ है, लेकिन अब मुख्य चुनाव आयुक्त कह रहे हैं कि वोटर लिस्ट की गड़बड़ी सुधारने के लिए ही SIR कर रहे हैं। इतना कहकर ही चुनाव आयोग फंस गया और उसकी कलई खुल गई।
कन्हैया कुमार ने कुछ बिंदुओं को उठाते हुए कहा कि, चुनाव आयोग बहुत बुरी तरह फंस गया है, जानिए कैसे?
- चुनाव आयोग अब खुद कह रहा है कि वोटर लिस्ट में गड़बड़ी है। इसका मतलब है कि आज से कुछ महीने पहले चुनाव आयोग झूठ बोल रहा था, क्योंकि तब वह कह रहा था कि वोटर लिस्ट में कोई गड़बड़ नहीं है।
- नेता विपक्ष श्री राहुल गांधी ने जब इन गड़बड़ियों को उजागर किया तो चुनाव आयोग हलफनामा मांग रहा था। इसपर हम कहना चाहते हैं कि पहले चुनाव आयोग को अपना कागज़ दिखाना चाहिए।
- SIR में भारी पैमाने पर धांधली हो रही है। सारे BLO घर-घर जाकर फॉर्म नहीं भरवा रहे। कई बूथ पर जिंदा लोगों का नाम काट दिया गया और मरे हुए लोगों को लिस्ट में शामिल कर दिया गया।
- पार्टियों को जो डिलीशन लिस्ट सौंपी गई, उसमें सिर्फ नाम थे, EPIC नंबर नहीं था। जब ये बात सुप्रीम कोर्ट को बताई गई, तब कोर्ट ने आदेश दिया कि चुनाव आयोग को लोगों को इस बारे में बताना होगा।
कन्हैया ने कहा कि, इतना ही नहीं- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी आधार कार्ड को अधिकारियों द्वारा स्वीकार नहीं किया गया और आवासीय प्रमाण पत्र मांगे जा रहे थे। यानी कि कागज के नाम पर वोटर को परेशान किया गया।
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