लखनऊ. दुनियाभर में अपने इत्र हिना और शमामा से पहचान हासिल करने वाले कन्नौज के इत्र कारोबारी फौजान मलिक और अब्दुल्लाह मलिक बहीखाते बनाने में कमजोर हैं. दुनिया के 30 देशों में उनके बनाए इत्र की खुशबू महक रही है लेकिन कागजों पर कारोबार केवल 4 करोड़ रुपये का है.

आयकर विभाग को उनके घर से दशकों पुराने दस्तावेज मिले हैं जो उर्दू में हैं. उनकी जांच के लिए विभाग उर्दू एक्सपर्ट की सेवाएं लेगा. पूरे विश्व में मशहूर परफ्यूम की हिना और शमामा वैरायटी मलिक मियां की देन हैं. इनकी कीमत दो लाख रुपये किलो से भी ज्यादा है. फर्म का अधिकतर काम इत्र के एक्सपोर्ट का है. ज्यादातर काम कच्चे पर मिला.

न स्टॉक रजिस्टर पूरे थे और न ही खरीद-फरोख्त के बिल. स्टॉक और कारोबार को देखते हुए विभाग का मानना है कि कम से कम 25 करोड़ रुपये का बिजनेस है. उनकी फर्मों और घर से प्राचीन काल में चलने वाले चार-चार फिट लंबे बहीखाते मिले हैं, जो उर्दू में हैं. विभाग ने उन्हें सीज कर लिया है. उन्हें डीकोड करने के लिए विभाग उर्दू विशेषज्ञों की सेवाएं लेगा. मलिक ग्रुप की शेयर कैपिटल एक करोड़ रुपये है और पेड-अप वैल्यू 70 लाख रुपये है.

जांच पूरी जाने कितना मिला कैश

कन्नौज की सबसे बड़ी इत्र कारोबारी फर्म मलिक ग्रुप पर आयकर जांच पूरी हो गई. आयकर विभाग ने 3.5 करोड़ कैश के साथ 1.65 करोड़ की ज्वैलरी भी सीज की है. दिल्ली के सबसे महंगे और पॉश इलाके फ्रेंड्स कालोनी में उनके तीन घर भी मिले हैं. आयकर विभाग ने पम्पी जैन के अतिरिक्त कन्नौज के सबसे बड़े इत्र कारोबारी फौजान मलिक के परिसरों पर भी छापे मारे थे. मलिक के घर से 3.5 करोड़ रुपये सीज किए गए हैं, जबकि 1.65 करोड़ रुपये के गहने मिले हैं. उन्होंने पहले तो ऐसे किसी फ्लैट की जानकारी से इनकार कर दिया लेकिन प्रमाण दिखाने के बाद बोले कि उन्हें कुछ याद नहीं आ रहा है. कुछ देर पूछताछ के बाद सच कबूल कर लिया.