कानपुर. कहते हैं कि पति-पत्नी तन से भले ही अलग हों लेकिन मन से एक होते हैं. शायद इसलिए बिना कहे ही दोनों आपस में सबकुछ कह जाते हैं. ऐसा होना भी चाहिए. क्योंकि भारत की संस्कृति में विवाह एक संस्कार है, जिसका निष्ठा से पालन किया जाए तो जीवन की गाड़ी बढ़िया चलती है. इस रिश्ते में आपसी समझ भी बेहद मायने रखती है. जिससे पति पत्नी कुछ बोले बिना ही सब समझ जाएं. ऐसा ही एक उदाहरण कानपुर से सामने आया है. जहां युवक ने सालभर की मेहनत से पैसे जोड़कर अपनी पत्नी को सरप्राइज दिया. पत्नी ने कभी इसकी डिमांड नहीं की थी, लेकिन पति उसकी दिल की ख्वाहिश जानता था. सो उसने इन पैसों से चेन खरीदी और अपनी पत्नी को एक शानदार तोहफा दिया.

दरअसल, अभिषेक यादव, जो शहर के एचएएल चौराहे पर पान की दुकान चलाते हैं, सालभर पहले उनकी शादी हुई थी. छोटी सी दुकान से तो घर का खर्च चलाना ही मुश्किल था, ऐसे में पत्नी कभी कोई मांग नहीं करती थी. लेकिन उसके मन में एक सोने की चेन पहनने की इच्छा थी, जिसे अभिषेक ने महसूस किया. उसी दिन से अभिषेक ने अपनी दुकान पर आने वाले 20 रुपये के सिक्कों को जमा करना शुरू किया. धीरे-धीरे उसने एक साल में 1 लाख रुपये के सिक्के जमा कर लिए.

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इन सिक्कों को एक थैले में भरकर अभिषेक सर्राफा बाजार गया. एक ज्वेलरी शॉप में पहुंचकर उसने सारे सिक्के टेबल पर जमा दिए और दुकानदार से कहा कि भैया, मुझे पत्नी को सरप्राइज गिफ्ट में सोने की चेन देनी है, ये एक साल में जुटाए हुए 1 लाख के सिक्के हैं. कृपया ले लीजिए. हालांकि पहले तो दुकानदार ने इतने सारे सिक्के लेने से मना कर दिया. लेकिन जब अभिषेक ने पूरा बात बताई तो उसने ये सिक्के ले लिए और बिना गिने ही अभीषेक को करीब एक लाख रुपये कीमत की सोने की चेन दे दी.

इतनी सच्ची भावना और प्यार मैनें कभी नहीं देखा- दुकानदार

अभिषेक ने दुकानदार से कहा था कि मुझे अपनी पत्नी को सरप्राइज देना है. उसने कभी कुछ नहीं मांगा. मेरी छोटी सी पान की दुकान देखकर उसने कभी किसी चीज की मांग नहीं की. लेकिन उसकी सोने की चेन पहनने की इच्छा मैनें महसूस की. पति की बात सुनकर ज्वेलर्स महेश वर्मा ने पत्नी के प्रति उसके लगाव को देखा और सिक्के ले लिए. दुकानदार ने कहा कि इतनी सच्ची भावना और प्यार मैंने कभी नहीं देखा. पैसे बाद में संभाल लेंगे, लेकिन उसकी इच्छा अधूरी नहीं रहने देना चाहता था.

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सोने के बढ़ते भाव ने गिरा दिया था अभिषेक का मनोबल

अभिषेक करवा चौथ पर अपनी पत्नी को चेन देना चाहता था. लेकिन सोना की कीमत एक लाख के पार जा चुकी थी. पहले तो उसने हौसला खो दिया लेकिन फिर से उसने पैसे जोड़ना जारी रखा. जब करीब एक लाख रुपये इकट्ठा हो गए तो वह दुकान पहुंच गया. दुकानदार ने भी पूरी बात जानने के बाद सिक्के ले लिए और चेन दे दी. ज्वेलर ने कहा कि सिक्के किसी तरह मैं एडजस्ट कर लूंगा. लेकिन उसकी (अभिषेक) ख्वाहिश पूरी होनी चाहिए.

मुफलिसी में खुशियों के पल

इसे कहते हैं आदर्श दंपति. जिन्होंने आपसी समझदारी से अपनी तंग हालत में भी खुशियों के पल जी लिए. जहां पत्नी ने भी घर की स्थिति को समझकर, अपना धर्म निभाया और पति ने भी अपनी पत्नी की ख्वाहिश को महसूस कर उसे पूरा किया. यदि दोनों के बीच ऐसे ही परस्पर प्यार, विश्वास, निष्ठा और समझ हो तो गृहस्थी की गाड़ी मक्खन की तरह चलती है.