Karnavedha Sanskar Shubh Din : हिंदू धर्म में कुल 16 संस्कारों के बारे में विस्तार से बताया गया है. जिसमें से एक कर्ण वेध संस्कार का भी उल्लेख भी मिलता है. इसे विशेषकर उपनयम संस्कार से पहले किया जाता है. वहीं कान छिदवाने से कई लाभ होते हैं. ऐसा कहा जाता है कि कान छिदवाने से राहु और केतु से संबंधित प्रभाव कम हो सकता है. साथ ही कान छिदवाने से रोगदोष से भी छुटकारा मिल सकता है. अब ऐसे मे कान छिदवाने के लिए शुभ दिन कौन सा होता है ये जानना भी जरूरी होता है. तो चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से.
कान छिदवाने के लिए शुभ दिन (Karnavedha Sanskar Shubh Din)
अगर आप कान छिदवाना चाहते हैं, तो सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार का दिन बहुत शुभ माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इन चार दिनों में से आप किसी भी दिन अपना कान छिदवा सकते हैं. बता दें, वायु, चंद्रमा, इन्द्र, अग्नि, वरुण आदि देवता कान में निवास करते हैं. इसलिए इसके छिदवाने से व्यक्ति को सभी ग्रह दोष से मिल सकता है और ग्रहों की स्थिति भी अनुकूल बनी रहती है.
इस दिन कान छिदवाना होता है अशुभ (Karnavedha Sanskar Shubh Din)
शनिवार और रविवार के दिन कान छिदवाने से बचना चाहिए. इससे शनिदोष लग सकता है और अशुभ परिणाम भी मिलने लगते हैं. इसलिए अगर आप कान छिदवाना की सोच रहे हैं, तो शनिवार और रविवार के दिन न छिदवाएं.
कान छिदवाने का धार्मिक महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सनातन धर्म में जो व्यक्ति कर्ण वेध संस्कार नहीं कराते थे, वह अपने पितरों का श्राद्ध कर्म करने से वंचित हो जाते थे. ऐसा कहा जाता है कान छिदवाने से व्यक्ति की सुनने की शक्ति तेज होती है. साथ ही बुद्धि भी तीव्र होती है और आयु में भी वृद्धि होती है. वहीं प्राचीन समय में गुरुकुल जाने से पहले कान छिदवाने की परंपरा थी. अभी भी कई जगहों पर पुरुष का कर्ण वेध संस्कार किया जाता है.
बच्चों का कर्ण वेध संस्कार कब कराना चाहिए?
इस संस्कार के बारे में कहा जाता है कि यह शिशु के जन्म से दसवें, बाहरवें, सोलहवें दिन या छठे, सातवें, आठवें महीने किया जाता है. पहले बालक का दाहिना कान और फिर बायां कान छिदवाना चाहिए. वहीं कन्या का पहले बायां कान और दायां कान छिदवाना चाहिए.
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