वाराणसी: वाराणसी में स्थित प्रसिद्ध काल भैरव मंदिर में अब कोरोनोवायरस का इलाज किया जाएगा. काल भैरव मंदिर को काशी के कोतवाल के रूप में जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि यहां आने वाले भक्तों की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं.
मान्यता यह भी है कि भगवान काल भैरव को खुद महादेव शिव ने काशी में नियुक्त किया था. काशी में रहने के लिए हर व्यक्ति को काल भैरव की अनुमति लेनी होती है. कहा जाता है कि काल भैरव के बिना भगवान शिव के दर्शन अधूरे हैं.
काल भैरव मंदिर के दरवाजे सोमवार को जब फिर से खुलेंगे, तो वहां भक्तों के लिए ‘कोरोना नाशक तेल’ के पैकेट उपलब्ध होंगे. मान्यता है कि अगर कोई भक्त सरसों का तेल लेकर उसे सात बार अपने सिर के चारों ओर घुमाकर मंदिर में चढ़ा देता है, तो उसकी सारी बीमारियां ठीक हो जाती हैं.
मंदिर के पुजारी महंत सुमित उपाध्याय ने कहा, “काल भैरव ने सदियों से लोगों की सभी बीमारियों और समस्याओं को ठीक किया है और ऐसा कोई कारण नहीं है कि कोरोना ठीक न हो. कोरोना नाशक तेल वास्तव में सरसों का तेल है जिसे घातक वायरस को नष्ट करने की प्रार्थना के साथ मंदिर में चढ़ाया जाएगा.”
कैसे बाबा भैरव बने काशी के कोतवाल
कथाओं के अनुसार, एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु जी में श्रेष्ठता को लेकर विवाद हुआ. इसके बाद सभी भगवान शिव के पास गए. कुछ बातों को लेकर ब्रह्मा जी, भगवान शिव को भला-बुरा कहने लगे. इसके बाद भगवान शिव को गुस्सा आ गया. भगवान शिव के गुस्से से ही काल भैरव जी प्रकट हुए और उन्होंने ब्रह्मा जी का सिर काट दिया था.
काल भैरव पर लगा था ब्रह्म हत्या का दोष
काल भैरव पर ब्रह्म हत्या का दोष लगने के बाद वह तीनों लोकों में घूमे. लेकिन उनको मुक्ति नहीं मिली. इसके बाद भगवान शिव ने आदेश दिया कि तुम काशी जाओ, वहीं मुक्ति मिलेगी. इसके बाद वह काल भैरव के रूप में वो काशी में स्वयं भू प्रकट हुए.
काशी के कोतवाल हैं काल भैरव
कहा जाता है कि बाबा विश्वनाथ काशी के राजा हैं और काल भैरव उनके कोतवाल, जो लोगों को आशीर्वाद भी देते हैं और सजा भी. यमराज को भी यहां के इंसानों को दंड देने का अधिकार नहीं है. महंत के मुताबिक, काल भैरव के दर्शन मात्र से शनि की साढ़े साती, अढ़ैया और शनि दंड से बचा जा सकता है.