भाजपा ने पालघर के काशीनाथ चौधरी को पार्टी में शामिल किए जाने के कुछ ही घंटों बाद उनकी एंट्री बैन कर दी है। चौधरी का नाम 2020 के पालघर साधु हत्याकांड के दौरान विवादों में आया था, जिसके बाद पार्टी के भीतर और बाहर विरोध के स्वर उठने लगे थे। विरोध बढ़ने पर प्रदेश नेतृत्व ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उनकी सदस्यता रद्द कर दी। भाजपा ने स्पष्ट किया है कि पार्टी किसी भी विवादास्पद व्यक्ति को स्थान देने के पक्ष में नहीं है और इस मामले में हुई चूक को तत्काल सुधार लिया गया है।

इस संबंध में जिला अध्यक्ष को पत्र भेजकर काशीनाथ चौधरी को निलंबित करने की सूचना दे दी गई है। महा विकास अघाड़ी सरकार के दौरान, गढ़चिंचली में साधु हत्याकांड हुआ था। इसमें काशीनाथ चौधरी को मुख्य आरोपित बनाया था। पहले यही काशीनाथ चौधरी एनसीपी से जुड़ा हुआ था।

NCP को दिया था ईकाई ने झटका

बीजेपी की पालघर यूनिट ने दहानू तालुका में राष्ट्रवादी (शरद पवार) पार्टी को बड़ा झटका देते हुए पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष काशीनाथ चौधरी को पार्टी में शामिल कर लिया था। चौधरी ने 16 नवंबर को अपने समर्थकों के साथ पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी। चौधरी को बीजेपी में लाने के लिए जिला अध्यक्ष भरत राजपूत, सांसद हेमंत सावरा और प्रकाश निकम ने इसके लिए विशेष प्रयास किए थे। बीजेपी में चौधरी की एंट्री होते ही ग्रामीण इलाकों में चर्चा छिड़ गई कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि वह एनसीपी का बड़ा चेहरा थे। उनके बीजेपी में आने के मौके पर सांसद हेमंत सावरा, विधायक हरिश्चंद्र भोये, वरिष्ठ बीजेपी नेता बाबाजी कथोले, जिला अध्यक्ष भरत राजपूत, पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष प्रकाश निकम, पूर्व उपाध्यक्ष पंकज कोरे रहे थे। बीजेपी नेताओं ने दावा किया था कि इस प्रवेश द्वार से पार्टी की ताकत बढ़ी है।

बीजेपी ने क्यों किया बाहर?

काशीनाथ चौधरी की बीजेपी में एंट्री के बाद जैसे ही मीडिया और सोशल मीडिया यह जानकारी सामने आई कि पार्टी ने पालघर साधु हत्याकांड के आरोपी को पार्टी में शामिल किया है, तो इस मामले ने तूल पकड़ लिया। प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण ने महज 24 घंटे में निलंबित कर दिया है। महाराष्ट्र बीजेपी के प्रदेश प्रमुख रवींद्र चव्हाण ने पालघर जिला अध्यक्ष भरत राजपूत को पत्र भेजकर इस फैसले की जानकारी दी। 2020 में जब पालघर में दो हिंदू साधुओं की मॉब लिंचिंग हुई थी तब काशीनाथ चौधरी मौके पर मौजूद रहे थे। साधु हत्याकांड के समय घटनास्थल पर मौजूदगी के चलते उन्हें चश्मदीद कहा गया था। बीजेपी नेताओं ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कई बार उनका ज़िक्र किया। जैसे ही बीजेपी में उनकी एंट्री हुई तो सवाल खड़े हो गए थे।

क्या है पालघर साधु हत्याकांड?

16 अप्रैल 2020 को पालघर जिले के गढ़चिंचले गांव में दो साधुओं और उनके ड्राइवर की हत्या कर दी गई थी, जो गुजरात जा रहे थे और उन्हें बच्चा चोर गिरोह समझकर मार डाला गया था। इस क्रूर और दुर्भाग्यपूर्ण घटना को साधु हत्याकांड कहा जाता है। कोरोना काल के दौरान गढ़चिंचल और आसपास के ग्रामीण इलाकों में ‘बच्चा चोर गिरोह और किडनी निकालने वाले गिरोह’ के सक्रिय होने की अफवाह फैली थी। 16 अप्रैल की रात को इस गिरोह की अफवाहों के चलते साधुओं के वेश में लोगों का एक समूह दिखाई दिया, जिससे लोगों की भावनाएं भड़क उठी थीं। इस हत्याकांड के वक्त पर उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली एमवीए सरकार सत्ता में थीं। तब बीजेपी ने उद्धव ठाकरे को इस मुद्दे पर घेरा था।

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