पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबन्द। गरियाबन्द के काडसर के किसानों को कृषि ऋण की भांति लाख उत्पादन के लिए केसीसी ऋण मिलेगा. लघु वनोपज आधारित विकास योजना के तहत सीएम भूपेश के एलान के बाद जिले में प्रदेश का पहला केसीसी लोन 4 किसानों को दिया गया है. इसके साथ ही 70 किसानों को चिन्हांकित किया गया है, जिन्हें 2500 कुसुम पेड़ के एवज में केसीसी लोन दिलाया जाएगा.

किसान के लिए सीएम भूपेश बघेल ने मार्च में एक बड़ी घोषणा का एलान किया था, जिसमें लघु वनोपज आधारित विकास योजना के तहत धान की फसल के भांति लाख उत्पादन के लिए भी केसीसी लोन उपलब्ध कराने की बात कही गई थी. इस घोषणा के बाद शुक्रवार को काडसर में एक सभा का आयोजन कर प्रदेश में लाख उत्पादन के लिए पहले लोन का वितरण 4 किसान को किया गया.

जिला यूनियन लघु वजोपज संघ के उप संचालक अतुल श्रीवास्तव व लाख उत्पादन के प्रमुख प्रशिक्षक डॉ एके जायसवाल की मौजूदगी में कृषि विभाग एवं जिला सहकारी समिति डुमाघाट प्रबंधन ने केसीसी देने की प्रक्रिया पूर्ण की. पेड़ों की संख्या के आधार पर किसान मधुसिंह को 12700, भीखराम को 50,000, भीखराम को 25000 और राजमणि को 15000 रुपए लोन दिया जाना है. चारों कृषक इस अल्पकालीन ऋण का भुगतान सोमवार को गोहरापदर जिला सहकारी बैंक से लेंगे.

जल्द मिलेगा अन्य किसानों को लोन

डीएफओ मयंक अग्रवाल ने बताया कि डिवीजन के देवभोग परिक्षेत्र में लाख उत्पादन की असीम संभावनाएं हैं. लाख उत्पादन के लिए सरकार द्वारा केसीसी लोन देने की योजना से उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा. परिक्षेत्र के इस इलाके में उत्पादित लाख उच्च कोटि के हैं. प्रदेश के सभी लाखों में से इसे अव्वल दर्जा प्राप्त है.हमे गर्व महसूस हो रहा है कि सरकार की महती योजना के तहत प्रदेश भर में लाख उत्पादन के लिए पहला लोन हमारे क्षेत्र के किसान को मिल रहा है. डीएफओ ने बताया कि तय नियम के मुताबिक प्रति कुसुम पेड़ 5000, बेर के लिए 900 व पलाश के एक पेड़ के पीछे 500 लोन देने का प्रावधान है.

देवभोग परिक्षेत्र में सामान्य पट्टा एवं वन अधिकार रकबे पर लगभग 70 किसानों के 2500 कुसुम पेड़ हैं. इन पेड़ों को राजस्व नक्शे में पटवारी के माध्यम से इंद्राज कराया जा रहा है. एक किसान या समूह को लोन देना है. प्रक्रिया पूरी होते ही अन्य सभी कृषकों को लाख उत्पादन के लिए केसीसी लोन उपलब्ध करा दिया जाएगा. दिसम्बर से जनवरी माह के बीच लाख लगाना होता है, उससे पहले लोन की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी.

एमएसपी से ढाई गुना ज्यादा कीमत

आभूषण फलों को कोटिंग करने में लाख का उपयोग होता है. अन्य जगहों के लाख की तुलना में देवभोग के जंगल में उत्पादित होने वाले कुसुम लाख को बेहतर माना गया है. यही वजह है कि एमएसपी के अधिकतम निर्धारित दर से ढाई गुना ज्यादा कीमत पर यहां के लाख के लेवल खड़े हो जाते हैं. देश से लेकर विदेश तक इसकी मांग है. विदेशी दवा कम्पनी भी यहां के लाख की मुरीद है. एक पेड़ में लाख उत्पादन के लिए औसतन 7 से 8 हजार रुपए का खर्च आता है. पूंजी के अभाव में किसान लाख का उत्पादन करने में पीछे हो रहे थे, ऐसे में अब वन विभाग इन्हें वन धन केंद्र के माध्यम से जोड़ कर लाख उत्पादन का प्रशिक्षण लगातार दे रहा है. अब सरकार के केसीसी लोन भी मिल गया है. ऐसे में आने वाले दिनों में लाख किसानों को लखपति बना देगी.

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