… ऐसे समय में जब भाजपा तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (KCR) को उनके राज्य में मात देने की कोशिश कर रही है, केसीआर भी जवाबी हमले में अपनी राष्ट्रीय भूमिका की तलाश कर रहे हैं. हालांकि सत्ता में दो कार्यकाल और भाजपा की ओर से अपनाई जा रही आक्रामक रणनीति के बाद, तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) प्रमुख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सबसे ज्यादा मुखर मुख्यमंत्रियों में से एक हो गए हैं. केसीआर, मोदी और भाजपा पर उनकी विभाजनकारी राजनीति, गलत नीतियों पर ताबरतोड़ हमला करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. मोदी के पुराने नारे ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ के खिलाफ केसीआर ने अब ‘भाजपा मुक्त भारत’ का नारा दे दिया है.

केसीआर 2018 से ही एक अपनी एक राष्ट्रीय भूमिका को देख रहे हैं, नतीजन बीते कुछ महीनों से उनका ये प्रयास काफी तेज भी हो गया है. पीएम पर कड़े से कड़े प्रहार करने को लेकर वे मुखर नजर आ रहे हैं. पिछले महीने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे एक पत्र में उन्होंने आरोप लगाया कि योजना की कमी और संघात्मक व्यवस्था यानि शक्तियों के विभााजन में कमी के कारण, देश सबसे कठिन दौर से गुजर रहा है. इसमें रुपये का गिरता मूल्य, आसमान छूती महंगाई और बढ़ती बेरोजगारी जैसी भयावह समस्याएं हैं. जो कम आर्थिक विकास के चलते पैदा हुई हैं.

अखिल भारतीय नेता के तौर पर खुद को पेश करने की जुगत

सीएम ने अपने पत्र में भारत को एक मजबूत और विकसित देश बनाने के सामूहिक प्रयास में राज्यों को समान भागीदार नहीं मानने के लिए भी केंद्र की आलोचना की. वह संघात्म व्यवस्था जैसे मुद्दों को उठाकर राज्यों को एकजुट करने की कोशिश में लगे हैं. केसीआर ने राज्य के सार्वजनिक उपक्रमों के कर्ज लेने को सरकार का कर्ज मानने के लिए भी केंद्र पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि इससे तेलंगाना और कई अन्य राज्यों के विकास पर ब्रेक लग गया है. आजादी के 75 साल बाद भी लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने में विफल रहने के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों के कट्टर आलोचक केसीआर राष्ट्रीय राजनीति में गुणात्मक परिवर्तन लाने और भारत को एक समृद्ध राष्ट्र में बदलने के विकल्प की बात करते रहे हैं. केसीआर, जो न केवल तेलुगु और अंग्रेजी में अच्छा बोलते हैं, बल्कि हिंदी भाषा में भी उनकी अच्छी पकड़ है. देखा जाए तो एक प्रकार से वे खुद को एक अखिल भारतीय नेता के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे हैं जो पीएम मोदी का मुकाबला कर सके.

केसीआर के एजेंडे में कृषि समस्या

कई मौकों पर उन्होंने कुछ भाजपा नेताओं द्वारा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग करने पर चुटकी भी ली. उन्होंने भाजपा को अपने खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल करने की चुनौती देते हुए कहा कि वह डरने वाले नहीं हैं. केसीआर देश के विभिन्न हिस्सों की यात्रा कर रहे हैं और विभिन्न दलों के नेताओं के साथ विचार-विमर्श कर रहे हैं. लेकिन इससे ये नहीं काह जा सकता कि वे विभिन्न दलों के गठबंधन बनाने या राष्ट्रीय राजनीतिक दल बनाने की योजना बना रहे हैं. ये एक संभावना हो सकती है.

राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो केसीआर प्रयास तो कर रहे हैं, लेकिन इस पर किसी भी तरह की टीका-टिप्पणी करना या इन प्रयासों को राजनीतिक पैतरे के तौर पर देखना जल्दबाजी होगी. केसीआर देश के अलग-अलग हिस्सों में दौरा कर स्थिति को टटोलने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ संघर्ष में शहीद हुए सैनिकों के परिवारों और केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में मारे गए किसानों के परिजनों को सहायता प्रदान करने के लिए पंजाब, बिहार और झारखंड का दौरा किया.

कृषि और किसानों के सामने आने वाली समस्याएं केसीआर के राष्ट्रीय एजेंडे में महत्वपूर्ण हैं. वह दुनिया की सबसे बड़ी लिफ्ट एरिगेशन परियोजना, कालेश्वरम सिंचाई परियोजना की सफलता को प्रोजेक्ट कर रहे हैं. किसानों को 24 घंटे मुफ्त बिजली और 10 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष की दर से निवेश सहायता को भी वो जनता के सामने रख रहे हैं. केसीआर ने वादा किया है कि अगर केंद्र में गैर-भाजपा सरकार सत्ता में आती है, तो देशभर के किसानों को मुफ्त बिजली की आपूर्ति की जा सकती है.

क्या ये हो सकता है वैकल्पिक एजेंडा ?

उन्होंने हाल ही में 26 राज्यों के किसान नेताओं की एक बैठक की भी मेजबानी की थी. दो दिवसीय बैठक में तेलंगाना के कृषि की सफलता को दोहराने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर किसानों के सामने एक संयुक्त मंच का प्रस्ताव रखा गया. केसीआर के वैकल्पिक राष्ट्रीय एजेंडे पर काम करने के लिए देशभर के किसान संगठनों को एकजुट करने का ये संकेत हो सकता है. केसीआर ने राष्ट्रीय स्तर पर एक बहस का आवाहन किया कि केवल आठ साल पहले बनाया गया राज्य तेलंगाना, सभी क्षेत्रों में किसानों को चौबीसों घंटे बिजली आपूर्ति और हर घर में पीने के पानी की उपलब्धता को सुनिश्चित करने में सफल रहा है.

राष्ट्रीय अकांक्षाओं के इर्द-गिर्द नैरेटिव बनाने का प्रयास

केसीआर ‘सफल’ तेलंगाना मॉडल को पेश करते हुए उसे दोहराने की बात कर रहे हैं. वे पूछते हैं, ”सबसे कम समय में सबसे युवा राज्य ने जो हासिल किया है, उसे देश क्यों नहीं हासिल कर सकता’. केसीआर ने दावा किया कि केंद्र के भेदभाव के बावजूद तेलंगाना को अनेक उपलब्धियां हासिल हुई हैं. वह पिछले आठ साल के दौरान मोदी सरकार की विफलताओं और उसी अवधि के दौरान टीआरएस सरकार की उपलब्धियों को जगह-जगह गिना रहे हैं. राजनीतिक विशलेषकों के मुताबिक इन सभी प्रयासों से तेलंगाना के मुख्यमंत्री अपनी राष्ट्रीय आकांक्षाओं के इर्द-गिर्द एक नैरेटिव बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

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