पति के मर्जी के खिलाफ अपनी सहेली को घर पर रखना पत्नी को भारी पड़ा. दोनों के बीच 16 साल तक चले तलाक के केस में कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने पति के पक्ष में फैसला सुनाया है. कोर्ट ने यह भी माना की पति के मर्जी के खिलाफ मायके वालों को रखना मानसिक क्रुरता (Cruelty) के तहत आता है. कोर्ट ने पति के खिलाफ निचली अदालत में दिए गए फैसले को पलटते हुए पत्नी से तलाक (Divorce) का आदेश जारी किया है. पत्नी ने उसके खिलाफ वैवाहिक क्रूरता का झूठा आरोप लगाया था. कोर्ट से इस फैसले से अब पीड़ित पति को राहत मिली है.

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पूर्वी मिदनापुर जिले के कोलाघाट में इस जोड़े की शादी 15 दिसंबर 2005 को हुई थी. पति ने 25 सितंबर 2008 को तलाक का मुकदमा दायर किया था और उसी साल 27 अक्टूबर को पत्नी ने पति और उसके परिवार के खिलाफ नवद्वीप पुलिस थाने में पंजीकृत डाक से शिकायत भेजी थी.

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पति के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि पत्नी अक्सर अपनी सहेली के साथ समय बिताती थी, और ये घटनाएं पत्नी द्वारा जानबूझकर पति के साथ उनके वैवाहिक रिश्ते में दरार डालने के प्रयास के रूप में देखी जा सकती हैं. पति का कहना था कि उसकी सहेली का लगातार घर में रहना और पत्नी का इस स्थिति को बढ़ावा देना, यह दर्शाता था कि पत्नी को पति के मानसिक स्वास्थ्य की कोई चिंता नहीं थी.

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परिवार और मित्र को पति की इच्छा के विरुद्ध उसके क्वार्टर में लगातार लंबे समय तक रखना, कभी-कभी तो स्वयं प्रतिवादी-पत्नी के वहां न होने को भी निश्चित रूप से क्रूरता माना जा सकता है…’ कोर्ट ने कहा कि वर्तमान मामले में पत्नी ने एकतरफा निर्णय लेकर काफी समय तक पति के साथ वैवाहिक जीवन जीने से इनकार किया और निस्संदेह लंबे समय तक अलगाव रहा, जो स्पष्ट रूप से यह दर्शाता है कि वैवाहिक बंधन अब सुधार से परे हो चुका है.

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इस मामले में जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्य और जस्टिस उदय कुमार की बेंच ने तलाक के मामले में निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए इसे गलत करार दिया. कोर्ट ने कहा कि पत्नी का अपने परिवार और सहेली को पति की इच्छा के खिलाफ घर में रखना, मानसिक उत्पीड़न की श्रेणी में आता है.

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हाईकोर्ट ने कहा कि पूर्वी मिदनापुर जिले के कोलाघाट में पति के सरकारी आवास में उसकी आपत्ति और असहजता के बावजूद पत्नी की सहेली और उसके परिवार के अन्य सदस्यों की उपस्थिति रिकॉर्ड से प्रमाणित होती है.पत्नी के परिवार के सदस्य पति के घर में लगातार रहने से उसकी मानसिक शांति प्रभावित होती थी. कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह की स्थिति से यह साबित होता है कि पति का मानसिक शोषण किया गया था.

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