नई दिल्ली। कोविड 19 से प्रेरित मुद्रास्फीति का हवाला देते हुए दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्र से केंद्रीय कर में राष्ट्रीय राजधानी की हिस्सेदारी बढ़ाने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि दिल्ली को पिछले 21 वर्षों से केवल 325 करोड़ रुपए मिल रहे हैं, जो केंद्र शासित प्रदेश के लिए अनुचित है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ मुख्यमंत्रियों की वार्षिक बैठक के दौरान सिसोदिया ने कहा कि पिछले 21 सालों से दिल्ली को केंद्रीय कर से केवल 325 करोड़ रुपये मिल रहे हैं, अब यह जरूरी है कि केंद्र सरकार इसे बढ़ाए. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली को केंद्रीय सहायता जो 2000-01 में 370 करोड़ रुपये थी, 2020-21 में बढ़ाकर 626 करोड़ रुपये कर दी गई है. हालांकि दिल्ली का खर्च 2000-01 में 7,200 करोड़ से 9 गुना अधिक बढ़कर 2021-22 में 69,000 करोड़ हो गया है.

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दिल्ली सरकार ने विभिन्न कोविड 19 से संबंधित तत्काल और आकस्मिक गतिविधियों पर खर्च किया है, जो अभी भी प्रचलित कोविड-19 महामारी को देखते हुए जारी है. इस तरह अब केंद्रीय सहायता में वृद्धि की जरूरत है. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि यह गृह मंत्रालय से संशोधित अनुमान (RE) 2021-22 में 1 हजार 925 करोड़ और 2022-23 में 2,020 करोड़ रुपए आवंटित करने का अनुरोध किया गया है. AAP नेता ने कहा कि देश की जीडीपी में दिल्ली का योगदान 4.4 प्रतिशत है, जबकि दिल्लीवासी देश की कुल आबादी का केवल 1.49 प्रतिशत हैं.

 

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बैठक में रखी 6 मांगें

दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से तीन गुना है. दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय मौजूदा कीमतों पर 3 लाख 54 हजार 004 है, जो 2020-21 के राष्ट्रीय औसत 1 लाख 28 हजार 829 से लगभग तीन गुना अधिक है. राष्ट्रीय राजधानी के लिए वस्तु एवं सेवा कर (GST) की मांग करते हुए सिसोदिया ने कहा कि जीएसटी से पहले की योजना में हर राज्य अपनी चुनौतियों के अनुसार कर, बजट या राजस्व के संबंध में बड़े या छोटे फैसले लेता था. अब ये निर्णय सामूहिक रूप से लिए जाते हैं.

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केजरीवाल सरकार ने केंद्र से मांग की है कि देश के अन्य निगमों के लिए आवंटित फंड में से केंद्र सरकार दिल्ली के नगर निगमों को भी फंड मुहैया करे. दिल्ली नगर निगमों पर यह जिम्मेदारी है कि वो देश के राजधानी दिल्ली को साफ सुथरा रखें, चमकाकर रखें. राजधानी किसी देश के चेहरे की तरह होती है लेकिन आज दिल्ली के नगर निगम फंड की कमी से जूझ रहे हैं, इसलिए केंद्र सरकार जिस तरह से देश के अन्य नगर निगमों को फंड मुहैया कराती है, वैसे ही दिल्ली नगर निगमों को भी फंड मुहैया करे. ये बातें दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्रीय बजट के पहले देश भर के वित्त मंत्रियों की बुधवार को आयोजित बैठक में कही. उन्होंने इस बैठक में दिल्ली की 6 महत्वपूर्ण मांगें रखीं.

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उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली के प्रदूषण को दूर करने के लिए केजरावाल सरकार की ई- व्हीकल पॉलिसी लेकर आई है, लेकिन ये तभी सफल होगी जब हम ज्यादा से ज्यादा चार्जिंग प्वाइंट बनाएंगे, लेकिन दिल्ली सरकार के पास जमीन नहीं है. जमीन डीडीए के पास है, तो इसमें केंद्र सरकार मदद करे और डीडीए चार्जिंग प्वाइंट बनाए. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली की अर्थव्यवस्था, देश की अर्थव्यवस्था में अच्छा योगदान दे रही है. 2020-21 में करंट प्राइसेस पर दिल्ली की GSDP नेशनल जीडीपी का 4.04 परसेंट रहा है, जबकि दिल्ली की आबादी देश की आबादी का 1.49 फीसदी है. राज्य सरकार की मार्केट फ्रेंडली नीति, हेल्थ और एजुकेशन जैसे सोशल सेक्टर में इन्वेस्टमेंट की वजह से दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय में भी काफी सुधार हुआ है. इस वक्त दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय 3 लाख 54 हजार रुपए है, जो कि राष्ट्रीय औसत का 3 गुना है. इसमें सरकार की बहुत सारी नीतियों का स्टार्टअप पॉलिसी और इन सब का योगदान रहा है.