अमित पांडेय, खैरागढ़। कला और संगीत की विरासत को नई उड़ान देती खैरागढ़ महोत्सव की पहली शाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई। एशिया के प्रथम संगीत एवं कला विश्वविद्यालय ‘इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय’ में बुधवार को तीन दिवसीय महोत्सव का भव्य और सजीव आगाज़ हुआ। वातावरण में सुर, ताल और रंगों का ऐसा मेल दिखा कि पूरा परिसर सांस्कृतिक उत्सव का जीवंत कैनवास बन गया।

उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में राजनांदगांव सांसद संतोष पांडे उपस्थित रहे, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. डॉ. लवली शर्मा ने की। मंच पर पंडरिया विधायक भावना बोहरा अति विशिष्ट अतिथि रहीं। इसके अलावा जिला पंचायत अध्यक्ष प्रियंका खम्मन ताम्रकार, उपाध्यक्ष विक्रांत सिंह, पूर्व विधायक कोमल जंघेल, नगर पालिका अध्यक्ष गिरजानंद चंद्राकर, कुलसचिव डॉ. सौमित्र तिवारी और महोत्सव संयोजक वेंकट रमण गुड़े भी मौजूद थे।

समारोह की शुरुआत विश्वविद्यालय के छात्र–छात्राओं द्वारा प्रस्तुत कुलगीत से हुई, जिसने क्षणभर में ही महोत्सव में गरिमा और ऊर्जा का संचार कर दिया। अतिथियों का सम्मान स्मृति चिन्ह से किया गया और दीप प्रज्वलन के साथ महोत्सव की औपचारिक शुरुआत हुई। कुलपति प्रो. लवली शर्मा ने कहा कि लंबे अंतराल के बाद यह आयोजन न सिर्फ विश्वविद्यालय के लिए गौरव का क्षण है, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए सांस्कृतिक पुनर्जागरण जैसा अवसर है। उन्होंने प्रशासनिक सहयोग को अभूतपूर्व बताया।

उद्घाटन दिवस की मुख्य आकर्षण रही अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय कलाकारों की शानदार प्रस्तुतियां। अमेरिका के प्रो. बेंजामिन बून और कुलपति प्रो. लवली शर्मा की विशेष जुगलबंदी, तबला वादक पं. गौरीशंकर कर्मकार, वृंदावन की गायिका विदुषी आस्था गोस्वामी, और सोनहा बदर समूह की प्रस्तुति ने दर्शकों को सुरमयी दुनिया में पहुंचा दिया। हर प्रस्तुति पर दर्शकों की तालियों ने इस महोत्सव की गरिमा को और ऊँचा किया। अतिथियों ने कला प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया, जहां छात्रों की रचनात्मक और उत्कृष्ट कलाकृतियां सभी का ध्यान खींचती रहीं।

तीन दिवसीय खैरागढ़ महोत्सव का यह भव्य प्रारंभ परंपरा, विरासत और आधुनिकता के अनूठे संगम का प्रतीक बन गया है। अगले दो दिनों में भी देश–विदेश से आए कलाकार अपनी प्रस्तुतियों के माध्यम से खैरागढ़ को फिर संगीत और संस्कृति के स्वर्णिम रंगों से भरने वाले हैं।