उमंग अग्रवाल, कानपुर। कोरोना महामारी की वजह से लगाए गए लॉकडाउन ने लोगों को दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज कर दिया है. ऐसा ही हाल सड़क किनारे गुजरबसर करने वाले खानाबदोश परिवारों का है, जो लॉकडाउन में दाने-दाने को मोहताज़ हैं. ऐसे लोगों को भुखमरी से बचाने योगी सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन ने कम्युनिटी किचन बनाकर गरीबों के लिए खाना बनाना शुरू तो कर दिया, लेकिन इसका लाभ इन तक नहीं पहुंच पा रहा है.

कुछ ऐसा ही हाल उत्तर प्रदेश के जनपद कानपुर देहात का है. यहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश के बाद पुखरायां नगर पालिका परिषद और अकबरपुर नगर पंचायत में कम्युनिटी किचन का निर्माण करा कर गरीबों के लिए भोजन बनाने का काम शुरू हो गया, लेकिन इसका लाभ गरीबों और सड़क किनारे रहने वाले खानाबदोशों को नहीं मिल पा रहा है. जिला मुख्यालय से चंद कदमों की दूरी पर अकबरपुर नगर पंचायत क्षेत्र में नेशनल हाईवे के किनारे बसे खानाबदोश आज भी दो वक्त की रोटी के लिए जद्दोजहद कर रहे है.

खुला आसमान, तपती धूप और पास में जल रही आग के बीच लोहा पीटते खानाबदोशों को देख कर अंदाज़ लगाया जा सकता है कि ये वे लोग है जो रोज़ दिनभर कड़ी मेहनत कर अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं. कानपुर देहात जिले के अधिकांश इलाकों में ऐसे तमाम खानाबदोश हैं, जो सड़कों पर रहकर अपना गुजरबसर कर रहे हैं. सरकार द्वारा लॉकडाउन में दिए गए कुछ घंटों के छूट के बीच ये खानाबदोश अपनी जीविका चलाने के लिए थोड़ा बहुत प्रयास कर लेते हैं. और अपने बच्चों को किसी तरह खाना खिला रहे है.

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वहीं, जिम्मेदार अधिकारियों के पास जिले में रह रहे मजदूरों और खानाबदोश लोगों का आंकड़ा भी नही है. अधिकारी गरीबों को सरकारी योजना का लाभ पहुंचाने का दावा कर रहे हैं. और सड़क किनारे रहने वाले मजदूरों को खाना बाटने के साथ प्रतिदिन लगभग 250 लंच पैकेट गरीबों को बांटने की बात भी कर रहे हैं, लेकिन गरीब कुछ और ही स्थिति बयां कर रहे हैं, जो जिला प्रशासन के दावे के उलट है.

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