इमरान खान, खंडवा। मध्य प्रदेश में चुनावी बिगुल बज चुका है. जिसमें खण्डवा लोकसभा सीट समेत तीन अन्य विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. लेकिन इसमें से खंडवा लोकसभा सीट ये सीट हाई प्रोफाइल सीटों में शुमार है. क्योंकि बीजेपी के सीनियर लीडर और दो बार के प्रदेश अध्यक्ष रहे स्व. नंदकुमार सिंह चौहान यहां से सांसद रहे चुके हैं. उनके निधन के बाद ये सीट रिक्त हुई है. नंदकुमार सिंह चौहान का लंबा राजनैतिक अनुभव रहा है. वे पार्टी के कई शीर्ष पदों पर रहे हैं. नंदकुमार सिंह चौहान नंदू भैया के नाम से भी जाने जाते थे. वह एक बार जनपद अध्यक्ष व तीन बार विधायक रहे हैं.
खण्डवा श्रीधूनी वाले दादाजी के नाम से मशहूर हैं. वहीं मशहूर गायक किशोर कुमार की जन्मस्थली भी है, तो वहीं दोनो ही पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष का संसदीय क्षेत्र भी रहा है. उपचुनाव में माना जा रहा है कि भाजपा यह बड़े चेहरे को मैदान में उतार सकती है. वहीं कांग्रेस इस बार भी पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव को मौका दे सकती है.
खंडवा सीट पर अब तक भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला रहा है. फिलहाल यहां पर भाजपा का कब्जा है. लेकिन इस बार सियासी हालात बदले हुए हैं, क्योंकि इस बार भाजपा को यह से लगातार जीत दिलाने वाले नंदकुमार सिंह चौहान के निधन के बाद कहीं चेहरे सामने आ रहे हैं, जो भाजपा की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं, तो वहीं विपक्ष की भूमिका निभा रही कांग्रेस अनेक मुद्दे लेकर मैदान में है. अब देखना है कि राजनीति के इस खेल में जीत की बाजी किसके हाथ लगती है.
खंडवा संसदीय क्षेत्र में 8 विधानसभा सीटें आती हैं. साल 2018 के परिणाम और उसके बाद हुए विधानसभा उपचुनाव के बाद खंडवा की आठों विधानसभाओं का भी गणित बदल गया, लेकिन खण्डवा लोकसभा में आने वाली दो विधानसभा मांधाता और नेपानगर के दोनों विधायक कांग्रेस का साथ छोड भाजपा में चले गए. अब 8 विधानसभा सीट में बीजेपी के पास 5 सीटें हैं जिसमें खंडवा, पंधाना, बागली , नेपानगर और मांधाता, वहीं कांग्रेस के पास 2 सीटे हैं बडवाह, भीकनगांंव है. और एक अन्य बुरहानपुर सीट निर्दलीय के पास है.
नंदकुमारसिंह चौहान खण्डवा लोकसभा से लगातार चार बार सांसद रहे हैं, लेकिन साल 2009 के चुनाव में यहां पर कांग्रेस की वापसी हुई और अरूण यादव यहां से सांसद चुने गए और केंद्र में मंत्री बने, लेकिन साल 2014 और 2019 के चुनाव में नंदकुमार सिंह चौहान ने कांग्रेस से अपनी हार का बदला ले लिया और वो छठवीं बार इस सीट से जीतकर लोकसभा पहुंचे. नंदकुमार सिंह चौहान पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नजदीकी माने जाते थे. अब नंदकुमार सिंह चौहान के पुत्र हर्षवर्धन सिंह चौहान इस सीट पर प्रभर दावेदार माने जा रहे हैं.
विकास को तरस रहा खंडवा
- ग्राम रूदी में ग्रोथ सेंटर बनाया गया लेकिन कोई बड़ी इंडस्ट्री यह नहीं आ पाई है. युवा रोजगार के लिए आज भी बाहर जाने को मजबूर है.
- पानी की समस्या को दूर करने के लिए 106 करोड़ रुपए की नर्मदा जल योजना सौगात मिली. लेकिन पाइपलाइन बार बार फूटने के कारण पानी की समस्या अब भी बरकरार है.
- शहर को रिंगरोड, बायपास और ट्रांसपोर्ट नगर की सौगात तो मिली लेकिन वह भी अधूरे हैं. ट्रैफिक की समस्या शहर में आज भी बरकरार है.
- इंदौर इच्छापुर हाईवे पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं, जिसके कारण लगातार यहां एक्सीडेंट की घटनाएं बढ़ रही है.
एक नज़र विकास कार्य पर
- शहर को शासकीय मेडिकल कॉलेज की बड़ी सौगात मिली है, लेकिन इसका श्रेय अरूण यादव और नंदकुमार सिंह चौहान दोनों ही लेते हैं. अब इस कॉलेज का नाम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वर्गीय सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के नाम से रखा है.
- खंडवा अकोला रेलवे मीटर गेज को ब्रॉड गेज में तब्दील कराया है. खण्डवा से इंदौर ओर अकोला सुपरस्टार ट्रेन दौड़ने लगेंगी.
- किसानों के लिए अरबों रुपए की सिंचाई योजनाएं लेकर आए. छैगांव सिंचाई योजना, जावर सिहाड़ा सिंचाई योजना, भीकनगांव भिंडरवाला सिंचाई योजना.ऐसी कही गांवों को सिंचाई योजना की सौगात मिली है. इन योजनाओं से कहीं गांवों की जमीन हैं सिंचित होगी और बारहमासी फसलें किसान कर सकेंगे.
- भाजपा के लिए खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यहां तीन बार आ चुके हैं. जनदर्शन यात्रा कर करोड़ों रुपए के विकास कार्यों की सौगात भी दे चुके हैं.
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खंडवा लोकसभा में कुल विधानसभा 8 विधानसभा सीट हैं. जिसमें कुल मतदाता 19 लाख 59 हजार 436 हैं. जिसमें से 9 लाख 89 हजार 451 पुरूष, 9 लाख 49 हजार 862 महिला और 90 अन्य मतदाता हैं. यहां कुल 2376 मतदान केंद्र हैं. जातीय समीकरण की बात करें तो 3 लाख 62 हजार 600 सामान्य, 4 लाख 76 हजार 280 ओबीसी, 7 लाख 68 हजार 320 एससी/एसटी, 2 लाख 86 हजार 160 अल्पसंख्यक एवं 1500 अन्य मतदाता हैं. इससे स्पष्ट होता है कि इस सीट पर एससी-एसटी निर्णायक की भूमिका में निभाते हैं.
यहां हर विधानसभा सीट पर जातीय समीकरण अलग-अलग है. लेकिन अगर लोकसभा सीट की बात करें तो, यहां पर SC/ST द्वारा कुछ सीटों पर जबरदस्त दबदबा है. जो प्रत्याशी का मत परिवर्तन कराने में अहम योगदान देता है.
खंडवा में लोकसभा का पहला चुनाव 1962 में हुआ था. कांग्रेस के महेश दत्ता ने पहले चुनाव में जीत हासिल की. कांग्रेस ने इसके अगले चुनाव 1967 और 1971 में भी जीत हासिल की. 1977 में भारतीय लोकदल ने इस सीट पर कांग्रेस को हरा दिया. कांग्रेस ने 1980 में यह सीट वापस छीन ली. तब शिवकुमार सिंह ने इस सीट पर कांग्रेस की वापसी कराई थी. कांग्रेस ने इसका अगला चुनाव भी जीता. 1989 में बीजेपी ने इस सीट पर पहली बार खाता खोला.हालांकि 1991 में उसे कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा.
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1996 में बीजेपी की ओर से नंदकुमार चौहान चुनाव जीतने में भी कामयाब रहे. इसके बाद उन्होंने यहां से अगले 3 चुनाव जीते. 2009 में अरुण सुभाष चंद्र यादव ने यहां पर कांग्रेस की वापसी कराई. 2009 में हारने के बाद नंदकुमार ने एक बार फिर यहां पर वापसी की और अरुण सुभाष चंद्र यादव को मात दी. बीजेपी को यहां पर 6 बार तो कांग्रेस को 7 बार जीत मिली है.
संभावित उम्मीदवार
भाजपा से- कैलाश विजयवर्गीय, हर्ष वर्द्धन सिंह चौहान, अर्चना चिटनीस, खण्डवा के पूर्व महापौर शुभाष कोठारी हैं.
कांग्रेस से – अरुण यादव, अमिताभ मंडलोई, सचिन बिरला, खरगोन विधायक रवि जोशी, जैसे तमाम नेता शामिल हैं.
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