रायपुर। छत्तीसगढ़ के इतिहास में कल किसानों का सबसे बड़ा आंदोलन होने जा रहा है। पहली बार एक साथ एक ही समय पर 25 जिला में 31 संगठन 30 स्थानों पर प्रदेश के सभी नेशनल हाइवे में दोपहर 12 से शाम 3 बजे तक 3 घंटे का चक्काजाम करने जा रहे हैं। किसान संगठनों की ओर से किए जा रहे इस प्रदेश में पहले दर्जन भर ही संगठन जुड़े थे। लेकिन धीरे-धीरे संख्या बढ़ते-बढ़ते अब  इस आंदोलन में 31 संगठनों का समर्थन किसानों को मिल गया है। सभी संगठनों ने मिलकर छत्तीसगढ़ किसान मजदूर संघ बनाया है। जिसके बैनर तले ये आंदोलन होने जा रहा है।

छत्तीसगढ़ में इससे पहले भी कई आंदोलन हुए हैं, कई किसान आंदोलन हुए है, कुछ आंदोलन बेहद उग्र भी रहे हैं। पूर्व में हुए किसान आंदोलनों में सर्वाधिक चर्चा 2009 में धमतरी और 1995-06 आरंग के लखौली में हुए आंदोलन की होती है। लेकिन कल जो आंदोलन होने जा रहा वहा इन आंदोलनों से कई मायने में अलग और बेहद खास रहने वाला है।

किसानों ने पहली बार ये तय किया है कि चाहे कुछ भी हो जाए अपने अधिकार जिसमें धान बोनस, 21 सौ रुपये समर्थन मूल्य सहित विभिन्न मांगों को लेकर 3 घंटे का चक्काजाम किया जाएगा। किसानों ने यह चेतावनी भी दी है कि अगर किसी तरीके से उन्होंने आंदोलन करने से रोकने की कोशिश की गई तो फिर जो कुछ भी होगा उसके लिए जिम्मेदार सरकार होगी।

वहीं किसानों के आंदोलन को देखते हुए प्रदेश के सभी जिलों में अलर्ट जारी कर दिया गया। किसानों के साथ मिलकर जिला प्रशासन और पुलिस ने दो से तीन बार बैठकें भी ले ली है। पुलिस ने भी आंदोलन के मद्देनजर सुरक्षा व्यापक इतंजाम कर लिए हैं। पुलिस किसानों को चक्काजाम से रोकने की पूरी कोशिश में है।

दूसरी तरफ पुलिस और प्रशासन के सामने चुनौती किसान नहीं रहेंगे बल्कि किसानों के इस आंदोलन को दो प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़(जे) ने भी अपना पूर्ण समर्थन दे दिया है।