रायपुर। छत्तीसगढ़ किसान सभा (CGKS) ने आरसेप व्यापार समझौते से मोदी सरकार के पीछे हटने को इस प्रस्तावित समझौते के खिलाफ छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में किसानों और मजदूरों के व्यापक विरोध आंदोलन और गुस्से का नतीजा बताया है.

छग किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने जारी किया बयान में कहा कि आम जनता को सजग रहने और मुक्त व्यापार समझौते के खिलाफ अभी भी सघन अभियान चलाने की जरूरत है. उन्होंने मोदी सरकार से नव उदारवादी आर्थिक नीतियों, व्यापार उदारीकरण और भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौते के इस देश पर पड़ रहे दुष्प्रभावों पर श्वेतपत्र जारी करने की मांग की है.

उन्होंने विदेशी कृषि उत्पादों की भारत में डंपिंग रोकने के लिए मात्रात्मक प्रतिबंध को भी बहाल करने की मांग की है, जिसे अटलबिहारी बाजपेयी की सरकार ने पूरी तरह से हटा लिया था. छग किसान सभा ने कहा है कि हमारे संविधान के अंतर्गत कृषि राज्य का विषय है. इसलिए ऐसे किसी भी करार में शामिल होने के से पूर्व राज्य सरकारों से चर्चा की जानी चाहिए और संसद द्वारा उसकी जांच-पड़ताल अनिवार्य रूप से होनी चाहिए.