मनोज यादव, कोरबा।अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति और संयुक्त किसान मोर्चा के देशव्यापी आह्वान पर छत्तीसगढ़ किसान सभा ने महात्मा ग़ांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए 26 जनवरी को दिल्ली में हुई हिंसा के खिलाफ उपवास रखा. इस दौरान किसान सभा ने तीन कृषि कानून के खिलाफ संघर्ष को और तेज करने का निर्णय लिया. वहीं इस आंदोलन में शहीद हुए 150 से ज्यादा किसानों को श्रद्धांजलि किया गया. गांव के लोगों ने अपने काम को करते हुए उपवास में हिस्सा लिया और गांव-गांव में मानव श्रृंखला बनाया. कार्यक्रम में प्रमुख रूप से माकपा पार्षद और किसान सभा की सदस्य राजकुमारी कंवर, प्रशांत झा, नंदलाल कंवर, हेम सिंह छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के दीपक साहू उपस्थित थे.

छत्तीसगढ़ किसान सभा के जिलाअध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर ने कहा कि किसान सभा के सदस्यों ने रोजमर्रा का काम करते हुए उपवास किया, ताकि एक देशव्यापी दबाव बनाकर किसान विरोधी कानूनों को वापस लेने के लिए मोदी सरकार को बाध्य किया जा सके. उन्होंने कहा कि इस किसान आंदोलन का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है और आम जनता के विभिन्न तबकों का उन्हें समर्थन मिल रहा है, जिसके कारण यह आंदोलन आज़ादी के बाद का सबसे बड़ा ऐतिहासिक आंदोलन बन गया है.

किसान सभा के नेताओं ने कहा कि वास्तव में यह आम किसानों की मांगों के लिए, आम जनता का, आम जनता द्वारा संचालित आंदोलन है. पूरी दुनिया देख रही है कि सरकार प्रायोजित हिंसा, दमन, उकसावे के बावजूद किस तरह यह आंदोलन गांधीवादी और शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है. किसान सभा के नेताओं ने कहा कि जिस कानून के पीछे जनता का कोई बल न हो, उस कानून को आम जनता पर थोपना लोकतंत्र का मजाक उड़ाना ही है और केंद्र सरकार को इन कानूनों को वापस लेना ही होगा.

छत्तीसगढ़ किसान सभा ने कहा है कि किसानों का यह संघर्ष देश की अर्थव्यवस्था को कारपोरेटीकरण से बचाने का और खाद्यान्न आत्मनिर्भरता और सुरक्षा को बचाने का देशभक्तिपूर्ण और राष्ट्रवादी संघर्ष है. जिस संघी गिरोह ने आज़ादी की लड़ाई में अंग्रेजों का साथ दिया, वही आज इस देश को साम्राज्यवाद के हाथों बेचना चाहता है. इसलिए हमारे देश के किसान केवल अपनी खेती-किसानी बचाने की लड़ाई नहीं लड़ रहे हैं, वे इस देश की स्वतंत्रता और अस्मिता की रक्षा के लिए भी लड़ रहे हैं.