मृतक किसान भूषण गायकवाड़ के परिवार वालों से खेत के बीच चर्चा करते किसान मजदूर महासंघ के सदस्य
आज छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ का जांच दल कृषक भूषण गायकवाड  की आत्महत्या के मामले में जानकारी लेने के लिए खैरागढ़ के ग्राम गोपालपुर पहुंचा । ग्राम गोपालपुर में जाँच दल के सदस्य द्वारिका साहू, डॉ संकेत ठाकुर, वीरेंद्र पांडे, पारस साहू, सुदेश टीकम, चंदू साहू, रमाकान्त बंजारे, कान्ति बंजारे,मनोज गुप्ता और दिलीप साहू ने स्व. भूषण के पिता से  मुलाकात की । जाँच दल ने भूषण के खेत का अवलोकन किया और वहाँ कार्यरत श्रमिक एवम परिजनों से बात की ।

ये वो कमरा है जहां भूषण गायकवाड़ का शव मिला था। कमरे में सामान आज भी वैसे का वैसा ही बिखरा पड़ा है।
भूषण के पिता तथा परिजनों से बातचीत के आधार और यह तथ्य सामने आया कि यह परिवार कुल 60 एकड़ में खेती करता है । खेती करने में भूषण की जिम्मेदारी मुख्य है और बड़े भाई जीवराखन ने सब्जी के विपणन की जिम्मेदारी राजनांदगांव में सम्हाल रखी है । भूषण ने विगत 3 वर्षों में सब्जी की खेती को बढ़ाते हुए 2 ट्रेक्टर, 3 पिकअप वेन लोन पर ले रखा था इसके अतिरिक्त आईडीबीआई से 8 लाख का कर्ज और बाजार से 4 लाख कर्ज ले रखा था ।  नोटबन्दी की वजह से उसकी 20 एकड़ में टमाटर की फसल बर्बाद हो गई जिससे उसने कम से कम 25 लाख की आय की उम्मीद थी ।

मृतक किसान भूषण गायकवाड़ का घर
लेकिन टमाटर में नुकसान के बाद भी उसने हार नही मानी और गर्मियों में लौकी, करेला, भटा आदि की खेती की । उसके पास 4 बोरवेल है, जिसमे 3 बिजली और 1 सौर ऊर्जा से चलता है । लेकिन बिजली पम्प का 3 साल में भी स्थायी कनेक्शन विद्युत् विभाग की गैर जिम्मेदारीपूर्ण रवैये के कारण नही मिल सका । ऐन गर्मी में अस्थायी कनेक्शन भी काट दिया गया जिस कारण उसकी करेला, लौकी की फसल पानी के अभाव में सूखकर तबाह हो गई । दूसरी ओर सब्जियों के वाजिब दाम नही मिलने के कारण वह खेत के मजदूरों का 6 सप्ताह से मजदूरी भुगतान भी नही कर पाया । इस वजह से मजदूरों ने काम भी बीच में बन्द कर दिया ।
पैसे की घनघोर तंगी, बिजली के अभाव में फसल सूख जाने, और सब्जी की वाजिब कीमत नही मिल पाने के कारण वह वाहन के लोन और बाजार के कर्ज चुका पानेमें अपने को अक्षम पा रहा था । इसीलिये दिनांक 16 जून को कीटनाशक का सेवन कर भूषण ने  आत्महत्या कर ली ।
इस प्रकरण का सबसे दुखद पहलू यह है कि पुलिस प्रशासन ने उसकी कर्ज और गम्भीर आर्थिक  तंगी को आत्महत्या की मुख्य वजह बताने की बजाये पारिवारिक कलह का रंग देने की घृणित प्रयास किया ।  राजनांदगांव ले जाकर उसके शव से सुसाइड नोट मिलना बताया जबकि जाँच दल ने पाया कि जिस कमरे में उसकी मृत देह पायी गयी वहां आज भी उसका पर्स, पेंट, जूता आदि पड़ा हुआ है । अर्थात शव का ठीक से पंचनामा भी नही हुआ ।
इस पुरे प्रकरण में राज्य शासन का कुशासन ही दोषी है जो भूषण को बिजली कनेक्शन और फसल का वाजिब मूल्य तक नहीं दिलवा सका । छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के द्वारिका साहू, डॉ संकेत ठाकुर, वीरेंद्र पांडे, पारस साहू, सुदेश टीकम, चंदू साहू, रमाकान्त बंजारे, कान्ति बंजारे ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक  के उस बयान पर गहरी आपत्ति दर्ज की है जिसमे उन्होंने विपक्षी दलों पर किसानों को बरगलाने का आरोप लगाया है । सच्चाई यह है कि भाजपा का असल चाल चरित्र अब सामने आ चुका है कि वह किसान-मजदूर विरोधी है और अब उन्हें अपनी जमीन खिसकती नजर आ रही है । छत्तीसगढ़ के किसान अपने साथ वादा खिलाफी का बदला और अपनी बोनस सहित 5 मांगो को मनवाने भाजपा विधायकों का जगह जगह घेराव कर मानेंगे ।