रायपुर. नी (घुटना) रिप्लेसमेंट (Knee Replacement) के लिए मरीज मेट्रो सिटी या अन्य देशों में करवाने जाते है. लेकिन मेडिकल साइंस ने इतनी तरक्की कर ली है कि अब अपने देश ही नहीं अपने प्रदेश में भी ऐसी-ऐसी सर्जरी हो रही है जिसकी गुंज दूसरें देशों तक पहुंच रही है.
ऐसा इसलिए क्योंकि छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित श्री बालाजी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में एक नी रिप्लेसमेंट किया गया, इस ऑपरेशन की गुंज जर्मनी तक गई है और जर्मनी के डॉक्टरों ने ये कहा है कि इस केस को आयडल मानते हुए इसे जरनल में पब्लिश कराया जाना चाहिए, जिससे देश के अन्य आर्थोपेडिक डॉक्टर भी ऐसी घुटना प्रत्यारोपण (Knee Replacement) कर सके.
13 साल बाद चला मरीज
श्री बालाजी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के आर्थोपेडिक सर्जन अमीन कुरैशी कहते है कि सरोज कुमार नाम का एक मरीज अस्पताल उनसे जांच करवाने पहुंचा. मरीज के बाए (लेफ्ट) घुटना नहीं मुड़ रहा था, जिसके कारण वे चल नहीं पा रहा था. डॉक्टरों से मरीज से इस संबंध में प्रारंभिक पूछताछ की तो पता चला कि 13 वर्षों पहले उसका एक्सीडेंट हो गया था और गांव के ही कथित वैद्य के पास जाकर उन्होंने इलाज करवाया था और उक्त वैद्य ने डिस्लोकेट हुई हड्डी को सेट किया था. लेकिन उसके बाद से ही समस्या बढ़ती चली गई और नौबत यहां तक आ गई कि वे चलने में असमर्थ हो गया.
देश-विदेश के नामी डॉक्टरों न कहा, ऑपरेशन मत करो… रिजेल्ट अच्छा नहीं आएगा
डॉ कुरैशी कहते है कि मरीज की हालत और स्थिति इतनी गंभीर थी कि उसे ऑपरेशन की जरूरत थी. लेकिन मरीज के घुटने का एक्स-रे जैसे ही उन्होंने अपने देश-विदेश के नामी डॉक्टरों को भेजा तो सभी ने उन्हें ये सलाह दी कि वे ऑपरेशन न करें, क्योंकि उसके रिजेल्ट अच्छ नहीं आएंगे. लेकिन उनके पास कोई अन्य विकल्प नहीं था, यही कारण है कि उन्होंने ऑपरेशन का प्लान किया. ऑपरेशन पूरी तरह सक्सेसफुल रहा और अब मरीज को अस्पताल से डिस्चार्ज किए जाने की तैयारी है.
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