रायपुर. दिवाली पर हर घर दीपों से जगमगाती है. हर तरफ रोशन ही रोशन होता है. इसके साथ ही दिवाली पर पटाखों को लेकर लोगों में भारी क्रेज देखा जाता है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट से दिशा निर्देशों के बाद बाजार में पटाखे कम देखने को मिल रहे हैं. पटाखे जलाने का समय भी निर्धारित कर दी गई है. सुप्रीम कोर्ट से अनुसार रात 8 बजे से 10 बजे के बीच जलाए जा सकते हैं. इन पटाखों से पर्यावरण को नुकसान होता है. इससे बचने के लिए बाजार में ग्रीन पटाखे भी उपलब्ध है, लेकिन महंगे होने के कारण लोग सामान्य पटाखे ही फोड़ते हैं.

क्या है ग्रीन पटाखे 

ग्रीन पटाखे दिखने, जलाने और आवाज में आम पटाखों की तरह होते हैं. लेकिन इसे जलाने पर कम प्रदूषण होता है. पिछले दो सालों में ग्रीन क्रैकर्स की मांग बढ़ी है. ग्रीन पटाखा उन पटाखों को कहा जाता है, जिनके पास एक रासायनिक फार्मूलेशन है जो कि पानी के मॉलिक्यूल्स का उत्पादन करता है. ये उत्सर्जन के स्तर को काफी कम करता है और धूल को अवशोषित करता है. सामान्य पटाखों की तुलना में इसे जलाने पर कम प्रदूषण होता है.

यह 30-35 प्रतिशत तक नाइट्रस ऑक्साइड और सल्पर ऑक्साइड जैसे हानिकारक गैसों और पार्टिकुलेट मैटर ( कणों) में कमी का वादा करता है. ऐसा बिल्कुल नहीं हैं कि इन ग्रीन पटाखों को जलाने के बाद प्रदूषण नहीं होगा. लेकिन इसे जलने के बाद जानलेवा गैस और प्रदूषण कम होगा.

महंगे है ग्रीन पटाखे

कोर्ट के अनुसार त्योहार में ग्रीन पटाखे चलाने का आदेश है. लेकिन इसकी कीमत अन्य पटाखों से तीन गुना ज्यादा है. ऐसे में  लोग ग्रीन पटाखों से दूरी बनाते नजर आ रहे हैं. बाजार में ग्रीन पटाखों के नाम पर केवाल अनार और फूलझड़ी ही उपलब्ध हैं.