नई दिल्ली। एवरेस्ट फतह कर चुकीं जानी-मानी पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा के साथ उज्जैन के महाकाल मंदिर में हुई घटना को लेकर मध्यप्रदेश के मंत्री भूपेंद्र सिंह ने अफसोस जताया है. उन्होंने ट्वीट किया कि ”अरुणिमा जी आपके साथ महाकाल मंदिर में हुए व्यवहार के बारे में जानकर अफसोस हुआ. जिला प्रशासन को पूरे घटनाक्रम की जांच के निर्देश दे दिए गए हैं. मप्र सरकार दिव्यांगों के प्रति पूरी तरह संवेदनशील है. आप देश का गौरव हैं, भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन में आपका स्वागत है.”
क्या है मामला?
अरुणिमा सिन्हा के मुताबिक, मध्यप्रदेश की महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्री अर्चना चिटनिस के आमंत्रण पर वे युवाओं के एक सम्मेलन को संबोधित करने के लिए 23 दिसंबर को बुरहानपुर गई थीं. सम्मेलन के बाद उनकी इच्छा उज्जैन में महाकाल मंदिर में ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने की हुई. उन्होंने कहा कि मंदिर प्रशासन को उनके आने के बारे में भी पहले ही बता दिया गया था, लेकिन उन्हें गर्भगृह में जाने से रोक दिया गया और कहा गया कि वे टीशर्ट, लोवर और जैकेट में गर्भगृह के अंदर नहीं जा सकती हैं.
हिमालय पर चढ़ने से भी कठिन साबित हुआ महाकाल का दर्शन- अरुणिमा
अरुणिमा सिन्हा ने कहा कि महाकाल मंदिर में दर्शन उनके लिए हिमालय पर चढ़ने से भी ज्यादा कठिन साबित हुआ. उन्होंने कहा कि हर प्रयास के बाद भी आखिरकार वे ज्योतिर्लिंग के दर्शन नहीं ही कर सकीं. उन्होंने कहा कि भगवान शंकर तक ने उन्हें दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर जाने से नहीं रोका, लेकिन यहां भगवान के दर्शन करने से इंसानों ने रोक दिया.
अरुणिमा ने कहा कि वे दिव्यांग हैं, उनका एक पैर कृत्रिम है और ठंड के समय में उन्हें इन कपड़ों में आराम मिलता है, ये सब समझाने के बावजूद मंदिरकर्मियों ने उन्हें गर्भगृह में जाने के लिए नहीं दिया. उन्होंने कहा कि ऐसा लगा कि अगर वे ज्यादा बोलेंगी, तो वहां मौजूद मंदिरकर्मी उन्हें धक्का तक दे देंगे.
अरुणिमा ने कहा कि महाकाल मंदिर में उन्हें बेहद बुरा अनुभव हुआ. उन्होंने कहा कि वे शिव भक्त हैं और महाकाल मंदिर में पहुंचकर भी भगवान के दर्शन नहीं कर पाने के कारण वे रो पड़ीं.
कौन हैं अरुणिमा सिन्हा?
गौरतलब है कि अरुणिमा ने कृत्रिम पैर से 21,110 फीट की ऊंचाई पर पहुंची थीं. अरुणिमा उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर की रहनेवाली हैं और सीआईएसएफ में हेड कॉन्स्टेबल के पद पर कार्यरत हैं. 2011 में लखनऊ से दिल्ली जाते हुए उनके बैग और सोने की चेन खींचने की कोशिश कर रहे अपराधियों ने उन्हें पद्मावती एक्सप्रेस से बाहर फेंक दिया था. जिसके बाद उनका एक पैर काटना पड़ गया था.
इसके बावजूद 2013 को उन्होंने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी मांट एवरेस्ट को फतह किया. इतिहास रचते हुए ऐसा करने वाली पहली विकलांग भारतीय महिला होने का रिकॉर्ड उन्होंने अपने नाम कर लिया. अरुणिमा राष्ट्रीय स्तर की वॉलीबॉल और फुटबॉल खिलाड़ी रही हैं.