
रायपुर। आज हम जानेंगे छोटी दीपावली के बारे में. दरअसल छोटी दीपावली को हम नरक चतुर्दशी के नाम से भी जानते हैं. पुराणों के मुताबिक, नरकासुर की माता पृथ्वी और पिता श्री विष्णु हैं. दरअसल नरकासुर का जन्म वराह अवतार के समय हुआ था. इसे भौमासुर के नाम से भी जाना जाता है. नरकासुर बहुत आततायी था, जिसके कारण महर्षि वशिष्ठ ने उसे विष्णु के हाथों मारे जाने का श्राप दे दिया.
नरकासुर का वध
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, श्री कृष्ण ने दुराचारी नरकासुर का वध किया. इस मौके पर दीयों से पूरा नगर सजाया गया. नरकासुर के वध के बाद हर साल दीपावली से एक दिन पहले छोटी दीपावली मनाई जाती है.
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी, यम चतुर्दशी या फिर रूप चतुर्दशी मनाई जाती है.
वैसे तो दीवाली के कई दिनों पहले से घर और आसपास की सफाई शुरू हो जाती है, लेकिन नरक चतुर्दशी के दिन साफ-सफाई का अलग ही महत्व है. माना जाता है कि जो घर साफ और सुंदर होता है, वहां माता लक्ष्मी की कृपा होती है. छोटी दीपावली के दिन भी घर को उसी तरह से सजाया जाता है और उसी तरह से दीए जलाए जाते हैं जैसे कि दीपावली के दिन.
नरक चतुर्दशी के दिन कैसे करें पूजा?
इस दिन शरीर पर तिल के तेल की मालिश करनी चाहिए. सूर्योदय से पहले स्नान करें. इसके बाद अपामार्ग नाम के पौधे का स्पर्श शरीर को कराएं. स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर माथे पर तिलक लगाकर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं. स्नान करके यमराज का तर्पण करके तीन अंजलि जल अर्पित करना चाहिए. नरक चतुर्दशी के दिन यमराज की पूजा और व्रत करें.
पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप करें- ”सितालोष्ठसमायुक्तं संकण्टकदलान्वितम्। हर पापमपामार्ग भ्राम्यमाण: पुन: पुन:।।”
इसके अलावा आप इन मंत्रों का जाप करें-
ऊं यमाय नम:
ऊं धर्मराजाय नम:
ऊं मृत्यवे नम:
ऊं अन्तकाय नम:
ऊं वैवस्वताय नम:
ऊं कालाय नम:
ऊं चित्रगुप्ताय नम:
बजरंगबली का हुआ था जन्म
मान्यता है कि बजरंगबली का जन्म भी नरक चतुर्दशी के दिन हुआ था. इसलिए इस दिन हनुमान जी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है.
इस दिन दीए को जलाकर घर के बाहर रखते हैं, मान्यता है कि दीयों की रोशनी से पितर अपने लोक तक जाने का रास्ता देख पाते हैं. इससे पितर प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद मिलता है. पितरों को प्रसन्न देखकर देवता भी प्रसन्न होते हैं. दीप दान से संतान सुख में आने वाली बाधा दूर होती है और इससे वंश वृद्धि भी होती है.
वहीं घर के बाहर दीए रखने से यमराज भी प्रसन्न होते हैं और मृत्यु टल जाती है.