Krishna Janmashtami 2024 : सोमवार 26 अगस्त को श्रीकृष्‍ण जन्माष्टमी मनाई जाएगा. इस बार जन्माष्टमी पर कई योग-संयोग बन रहे हैं जोकि 5251 वर्ष पहले द्वापर युग में श्री कृष्‍ण के जन्म के समय बने थे. भगवान श्रीकृष्‍ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि के संयोग से जयंती नामक योग में सोमवार के दिन मध्‍यरात्रि में हुआ था. इस बार भी यही दुर्लभ योग बना है. इस योग में पूजा और व्रत का महत्व कई गुना बढ़ गया है.

कहते हैं कि श्रीकृष्‍ण का जन्म इसी योग में हुआ था. जयंती योग में व्रत रखने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. भगवान श्रीकृष्‍ण का आशीर्वाद मिलता है. इस बार वैष्णव और स्मार्त दोनों ही मतों से जन्माष्टमी का पर्व 26 अगस्त को ही मनाया जा रहा है. जिसका उत्सव शुरू हो चुका है. इस बार निशिथ पूजा का समय- 12:01 am से 12:45 am के बीच रहेगा.

श्रीकृष्ण जन्म के योग-संयोग ये बने थे (Krishna Janmashtami 2024)

श्रीकृष्‍ण का जन्म 8वें अवतार के रूप में 8वें मनु वैवस्वत के मन्वंतर के 28वें द्वापर में भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को 8वें मुहूर्त में आधी रात को जयंती नामक योग और रोहिणी नक्षत्र में तब हुआ था, जबकि चंद्र अपने उच्च अंश में वृषभ राशि में विराजमान था और उस दिन सोमवार था. उस समय 6 ग्रह उच्च के थे. चौथे भाव में सिंह राशि थी जिसमें सूर्य विराजमान थे. पांचवें भाव में कन्या राशि में बुध विराजमान थे. छठे भाव की तुला राशि में शनि और शुक्र ग्रह थे. नौवें अर्थात भाग्य स्थान पर मकर राशि थी जिसमें मंगल ग्रह उच्च के होकर विराजमान थे. 11वें भाव में मीन राशि के गुरु उच्च के होकर विराजमान थे. 

इस बार भी यही योग संयोग बने हैं

इस बार 26 अगस्त 2024 सोमवार को कृष्‍ण जन्माष्टमी के दिन जयंती योग रहेगा. रोहिणी दोपहर 3:55 से प्रारंभ होकर अगले दिन यानी 27 अगस्त को प्रात: दोपहर 3:38 पर समाप्त होगा. अष्टमी तिथि का प्रारम्भ 26 अगस्त को भोर 3:39 बजे प्रारंभ होगी. जो अगले दिन यानी 27 अगस्त को 02:19 एएम बजे समाप्त होगी.  इस दिन वृषभ राशि में चंद्रमा की गुरु के साथ युति बनने से गजकेसरी  योग भी बनेगा. मंगल का मिथुन में गोचर होगा और बुध का कर्क में उदय होगा. इस दिन शनि के अपनी राशि में केंद्र में होने के कारण शश राजयोग भी बनने जा रहा है. सर्वार्थसिद्धि योग 26 अगस्त को दोपहर 03:55 से अगले दिन यानी 27 अगस्त को सुबह 05:57 तक रहेगा.