इस्लामाबाद। पाकिस्तानी जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव से आज उनकी मां और पत्नी ने इस्लामाबाद में मुलाकात की. ये मुलाकात 47 मिनट तक चली. पाकिस्तान की फॉरेन मिनिस्ट्री में ये मुलाकात कराई गई. जाधव और उनकी मां और पत्नी के बीच एक कांच की दीवार लगाई गई थी. जाधव के सामने एक फोन था. इसका स्पीकर ऑन करके बातचीत कराई गई. कुछ ही दूरी पर भारत के डिप्टी हाई कमिश्नर जे पी सिंह भी मौजूद थे और उनके सामने भी एक ग्लास पार्टिशन था. इसके कारण वे उस बातचीत को नहीं सुन सकते थे, जो कुलभूषण जाधव की उनकी मां और पत्नी के साथ हुई.
इस दौरान पाकिस्तान की एक महिला डिप्लोमैट फराह बगती भी मौजूद थीं. बता दें कि जाधव की मां का नाम अवंतिका और पत्नी का नाम चेतना है. भारत के दबाव के आगे झुकते हुए पाकिस्तान ने इस साल 20 दिसंबर को कुलभूषण जाधव से मिलने के लिए उनकी मां और पत्नी को वीजा दिया था.
इस मुलाकात को पाकिस्तान ने तीन टीवी कैमरों से रिकॉर्ड किया. दो सीसीटीवी कैमरे भी वहां लगे थे.
भारत ने मीडिया से बातचीत पर लगाई रोक
पाकिस्तान की फॉरेन मिनिस्ट्री ने जाधव की पत्नी और मां को इंटरनेशनल और नेशनल मीडिया से बातचीत की इजाजत दी थी, लेकिन भारत ने इस पर रोक लगा दी. पाकिस्तान के अधिकारियों को मुताबिक, वे चाहते थे कि दोनों महिलाएं मीडिया से बात करें, लेकिन भारत ऐसा नहीं चाहता.
बता दें कि पाकिस्तान जाधव पर जासूसी करने का आरोप लगाता है. कुलभूषण जाधव इंडियन नेवी के रिटायर्ड अधिकारी हैं और पाकिस्तान का कहना है कि उसने जासूसी के आरोप में उन्हें बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया था.
कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की मिलिट्री कोर्ट ने अशांति फैलाने और जासूसी करने के आरोप में फांसी की सजा सुनाई थी. लेकिन इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस यानि आईसीजे ने उनकी फांसी पर रोक लगा रखी है. बता दें कि जाधव की दया याचिका भी पेंडिंग है.
जाधव पर रॉ के लिए जासूसी का आरोप
पाकिस्तान आर्मी ने दावा किया है कि जाधव इंडियन एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग यानि RAW के लिए जासूसी कर रहे थे. उन्हें बलूचिस्तान से अरेस्ट किया गया था. पाक आर्मी के फील्ड जनरल कोर्ट मार्शल ने अप्रैल में जाधव को फांसी की सजा सुनाई थी.
आईसीजे ने फांसी पर लगाई थी रोक
वहीं भारत का दावा है कि पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव को बलूचिस्तान नहीं बल्कि ईरान से किडनैप किया था. उन पर जासूसी के झूठे आरोप लगाए और सजा सुनाई गई. भारत का कहना है कि नेवी से रिटायरमेंट के बाद जाधव ईरान में बिजनेस कर रहे थे.
भारत ने वियना कन्वेंशन के वॉयलेशन का हवाला देकर कुलभूषण जाधव की सजा को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में चुनौती दी और इसे मानवाधिकार का हनन करार दिया. भारत द्वारा पेश किए गए सबूतों के मद्देनजर आईसीजे ने इश साल 18 मई को जाधव की फांसी की सजा पर रोक लगाई, जिसे भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत माना गया.