भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की अदालत में मौत की सजा सुनाए जाने के फैसले के बाद भारत ने फैसला किया है कि अब वह पाकिस्तान के कैदियों को रिहा नहीं करेगा। भारतीय जेलों में बंद लगभग एक दर्जन पाकिस्तानी कैदियों को बुधवार को रिहा किया जाना था।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि सरकार महसूस करती है कि पाकिस्तानी कैदियों को रिहा करने का यह सही वक्त नहीं है। भारत और पाकिस्तान की जेलों में बंद एक-दूसरे देशों के नागरिकों की सजा पूरी होने के बाद उन्हें रिहा करना दोनों देशों के नीतिगत फैसले का हिस्सा है।

जाधव को मौत की सजा सुनाने के फैसले की पुष्टि के बाद गुस्साए भारत ने कहा कि पाकिस्तान यदि कानून और न्याय के बुनियादी नियमों को ताक पर रखकर मौत की सजा बरकरार रखता है तो वह इसे पूर्व नियोजित हत्या करार देगा।

भारत में पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा 

कुलभूषण को मौत की सज़ा सुनाए जाने के खिलाफ दिल्ली के पाकिस्तान दुतावास के सामने प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे भी लगाए

भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को मौत की सजा देकर पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने एक बार फिर दिखा दिया है कि किस तरह ‘उसने अंतरराष्ट्रीय मानकों का ‘माखौल उड़ाया’ है. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने आज सैन्य अदालत के फैसले की क्षमता पर भी सवाल उठाए.

 एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा यह न्याय नहीं न्याय का मज़ाक 

एमनेस्टी इंटरनेशनल के दक्षिण एशिया निदेशक बिराज पटनायक ने कहा कि कुलभूषण जाधव को मौत की सजा देना दर्शाता है कि किस तरह पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने अंतरराष्ट्रीय मानकों की धज्जियां उड़ाई हैं.’ वह कथित जासूसी मामले में जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत द्वारा मौत की सजा देने पर प्रतिक्रिया जता रहे थे.

उन्होंने बयान जारी कर कहा कि बचावकर्ताओं को उनके अधिकारों से वंचित करना और कुख्यात गोपनीय तरीके से काम कर सैन्य अदालतें न्याय नहीं करतीं बल्कि उसका मजाक उड़ाती हैं. उनकी काफी गलत व्यवस्था है जिन्हें केवल सैन्य अनुशासन के मुद्दों से निपटना चाहिए न कि अन्य अपराधों से.’’ उन्होंने कहा कि एमनेस्टी हमेशा किसी भी स्थिति में मौत की सजा का विरोध करती है.