झारखंड में कुर्मी जाति को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर आज शनिवार से अनिश्चितकालीन ‘रेल टेका डहर छेका’ आंदोलन शुरू हो गया है. इस आंदोलन का असर धनबाद मंडल और आसपास के रेल मार्गों पर साफ देखा गया. हजारों कुर्मी समाज के लोग कई जगह रेलवे ट्रैक पर उतर आए, जिससे ट्रेन संचालन बाधित हुआ. कई ट्रेनें रद्द की गईं, जबकि कई को परिवर्तित मार्ग से गंतव्य तक पहुंचाया गया. स्थानीय भाषा में ‘रेल टेका’ का अर्थ रेल रोकना और ‘डहर छेका’ का अर्थ सड़क अवरुद्ध करना है.
‘हमें साजिश के तहत ओबीसी का दर्ज दिया गया’
रांची से कुछ किलोमीटर दूर टाटीसिलवे स्टेशन पर रेल रोक रहे कुर्मी नेता पप्पू कुरमी ने कहा कि झारखंड के कुर्मी बिहार और यूपी के कुर्मी से अलग हैं. उनका कहना है कि बंगाल और अन्य राज्यों में SC/ST एक्ट के तहत उनके खिलाफ कोई केस नहीं होता क्योंकि वे भी आदिवासी हैं. उनका पूजा पद्धति, कला और संस्कृति आदिवासियों जैसी है, लेकिन उन्हें जानबूझकर OBC का दर्जा दे दिया गया. 1931 में यदि वे एसटी सूची में शामिल थे, तो 1950 में उनका नाम कैसे हटाया गया. आंदोलनकारियों का दावा है कि यह निर्णय बिना किसी कानूनी आधार के लिया गया था और अब इसे सुधारने की मांग की जा रही है.
इस ‘रेल रोको’ आंदोलन के चलते दक्षिण पूर्व और पूर्व मध्य रेलवे के कई मंडलों में 100 से अधिक ट्रेनें रद्द, मार्ग परिवर्तित या बीच में ही रोक दी गईं. इससे हजारों यात्री फंस गए और रेलवे परिचालन पूरी तरह बाधित हो रहा. रेलवे स्टेशन पर फंसे यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा. यात्रियों ने कहा कि रेलवे ने उन्हें पर्याप्त सहायता नहीं दी. एक यात्री ने शिकायत करते हुए कहा, “कोई केरला से या वेल्लोर से इलाज करवाके रांची पहुंचा, लेकिन धनबाद से ट्रेन आधे घंटे पहले रोक दी गई. इसमें यात्रियों का क्या दोष?”
40 स्टेशनों पर दिखा आंदोलन का असर
झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओड़िशा के लगभग 40 रेलवे स्टेशनों पर आंदोलन का असर देखने को मिल सकता है. प्रमुख स्टेशन जैसे मूरी, टाटीसिलवे, बड़काकाना और चक्रधरपुर हाई अलर्ट पर हैं. अतिरिक्त पुलिस और आरपीएफ बल तैनात किए गए हैं और धारा 144 लागू की गई है. रेलवे अधिकारियों ने यात्रियों से अपील की है कि वे आवश्यक जानकारी और वैकल्पिक मार्गों की जानकारी पहले से प्राप्त करें. अधिकारी स्पष्ट करते हैं कि कुर्मी समाज की मांग केंद्र और राज्य सरकार से संबंधित है, इसलिए रेलवे पर आंदोलनकारियों के कारण यात्रियों को परेशानी देना उचित नहीं है.
पूर्व सांसद ने भी दिया समर्थन
कुर्मी समाज का दावा है कि झारखंड में उनकी जनसंख्या लगभग 65 लाख, पश्चिम बंगाल में 40 लाख और ओड़िशा में 30 लाख से अधिक है. कुल मिलाकर छोटानागपुर पठार में कुर्मी समाज की आबादी लगभग 1.35 करोड़ है. झारखंड की 81 विधानसभा में से 36 सीटों में उनका निर्णायक प्रभाव है. पूर्व सांसद शैलेन्द्र महतो ने भी इस मांग के समर्थन में प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है. पीएमओ ने राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की है. रेलवे प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि आंदोलन शांतिपूर्ण होना चाहिए. रेल जाम की स्थिति में रेलवे एक्ट के तहत कार्रवाई होगी और जरूरत पड़ने पर बल प्रयोग भी किया जा सकता है.
रेल परिचालन प्रभावित ट्रेनें
वाराणसी से रांची वंदे भारत एक्सप्रेस (20888) को आज यानी 20 सितंबर को रद्द कर दिया गया है. वहीं, रांची से वाराणसी वंदे भारत एक्सप्रेस (20887) को बोकारो स्टील सिटी स्टेशन तक ही चलाया गया और आगे के मार्ग में इसे रोक दिया गया. इसी तरह, टाटानगर से पटना वंदे भारत एक्सप्रेस (20893) और रांची से हावड़ा वंदे भारत एक्सप्रेस (20898) को क्रमशः मूरी और टाटानगर स्टेशन पर आंशिक रूप से रोक किया गया. रांची से हावड़ा इंटरसिटी एक्सप्रेस (22892) भी टाटानगर स्टेशन पर आंशिक समापन के साथ परिचालित हुई.
इसके अलावा, टाटानगर से बरकाकाना मेमू पैसेंजर (68085) को सुईसा स्टेशन से आंशिक रूप से प्रारंभ किया गया, जबकि हटिया से झारसुगुड़ा मेमू (18175) की प्रस्थान समय में बदलाव किया गया और यह 16:10 बजे हटिया से रवाना होगी. हटिया से इस्लामपुर एक्सप्रेस (18624) का मार्ग भी परिवर्तित कर रांची से टोरी होकर चलाया जाएगा. इसके अतिरिक्त, अजमेर से सांतरागाछी स्पेशल (08612) को सिल्ली स्टेशन पर आंशिक रूप से समाप्त किया गया.
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