सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। शिक्षा का अधिकार (RTE) के तहत निजी स्कूल में पढ़ाई कर रहे गरीब बच्चों को अब ड्रेस और कॉपी-किताब के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा. लल्लूराम डॉट कॉम में खबर प्रकाशित होने के बाद राज्यपाल अनुसुईया उइके ने संज्ञान लेते हुए स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव को पत्र लिखा है.

शिक्षा का अधिकार कानून के अंतर्गत प्रदेश में लगभग 4 लाख 65 हजार गरीब बच्चे लगभग 6444 प्रायवेट स्कूलों अध्ययनरत हैं, जिन्हें प्रतिवर्ष 6 से 8 हजार रुपए खर्च कर ड्रेस, कॉपी-किताब और लेखन सामग्री खरीदना पड़ता है. छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय दो बार स्कूल शिक्षा विभाग को आदेश दे चुका है कि प्रायवेट स्कूलों में अध्ययनरत् आरटीई के बच्चों को निःशुल्क ड्रेस, कॉपी-किताब के साथ लेखन सामग्री उपलब्ध कराई जाए. इसके लिए स्कूल पालकों को नगद राशि नहीं देगा, लेकिन इस आदेश का पालन नहीं हो रहा है.

इस विषय को लल्लूराम डॉट कॉम ने प्रमुखता से उठाया. इसके साथ छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन ने इस संबंध में राज्यपाल को 8 जुलाई को पत्र लिखकर बताया था कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के आदेशानुसार प्रायवेट विद्यालयों में आरटीई के अंतर्गत प्रवेशित गरीब बच्चों को निःशुल्क पाठ्य पुस्तक, गणवेश एवं लेखन सामग्री उपलब्ध कराने की समुचित व्यवस्था किया जाना है. इसके बावजूद ज्यादातर प्रायवेट स्कूलों में गरीब बच्चों को निःशुल्क पाठ्य पुस्तक, गणवेश एवं लेखन सामग्री उपलब्ध नहीं कराई जा रही है.

एसोसिएशन के क्रिस्टोफर पॉल ने राज्यपाल से अपील की थी कि आरटीई के अंतर्गत प्रायवेट स्कलों में प्रवेशित गरीब बच्चों को निःशुल्क पाठ्य पुस्तक, गणवेश एवं लेखन सामग्री उपलब्ध कराने स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव को तत्काल निर्देशित किया जाए. इस पर अब राज्यपाल के सचिवालय ने सचिव स्कूल शिक्षा को पत्र लिखकर उच्च न्यायालय के आदेश का कड़ाई से पालन कराने निर्देश दिया गया है, इसके साथ ही कार्रवाई से सचिवालय और आवेदक का अवगत कराने का निर्देश दिया गया है.

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पॉल का कहना है कि प्रायवेट स्कूलों में अध्ययनरत लाखों गरीब बच्चों को आरटीई कानून का सुमचित लाभ नहीं मिल रहा है. इसके लिए कोई और नहीं बल्कि जिला शिक्षा अधिकारी पूर्णतः जिम्मेदार है, क्योंकि प्रायवेट स्कूल आरटीई के तहत प्रवेशित गरीब बच्चों को पाठ्य पुस्तक, गणवेश और लेखन सामग्री निःशुल्क उपलब्ध नहीं कराते है. ऐसे स्कूलों के विरूद्ध अधिनियम के प्रावधान के अनुसार कार्रवाई करने जिला शिक्षा अधिकारियों को सक्षम प्रधिकारी घोषित किया गया है.